हमारे फैजाबाद में घंटाघर के नीचे एक बदसूरत सी पान की दुकान है, लेकिन चलती खूब है. वजह यह कि उसके जैसा कत्था पूरे शहर में कोई और नहीं बनाता. एक गिलौरी मुंह में दबाइए और चलते-चलते मकबरे तक पहु... Read more
पहाड़ी जाड़े की सौग़ात: सना हुआ नींबू
पहाड़ी नींबू करीब करीब बड़े दशहरी आम जितने बड़े होते हैं. माल्टा मुसम्मी और संतरे के बीच का एक बेहद रसीला फल होता है. ताज़ी पहाड़ी मूली में ज़रा भी तीखापन नहीं होता. भांग के बीजों में नशे जै... Read more
जब हल्द्वानी में पहली बार आई बिजली
1949-50 से पहले हल्द्वानी में सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिये अधिकतर जगहों पर कैरोसिन तेल के लैम्प जलाये जाते थे. 1929-30 में हल्द्वानी शहर में प्रकाश की व्यवस्था ठेके पर चल रही थी. 1940-4... Read more
आषाढ़ की काली धूप संग पहाड़ों में रोपाई
पहाड़ के लोगों और आषाढ़ की काली धूप का हमेशा से गहरा नाता रहा है. आषाढ़ की इसी काली धूप में लगती है रोपाई. उत्तराखंड में धान की बुआई के लिये लगाई जाने वाली रोपाई जिसे गढ़वाल में रोपणी भी कहते है... Read more
लाखामंडल उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के देहरादून जिले की ग्राम सभा है. यह क्षेत्र जौनसार बावर के रूप में भी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान रखता है. लगभग 1000 की आबादी वाले इस गाँव में उत्तराखण्ड के... Read more
डोका : पहाड़ी महिलाओं के श्रम का साथी
शहरों में हम अपना लैपटॉप बैग पीठ में लगाकर सुबह ही ऑफिस को निकलते हैं तो पहाड़ों में महिलायें पीठ में डोका लगाकर सुबह ही जंगल या खेतों को निकल लेती हैं. डोका जो पहाड़ की हर महिला के श्रम का सा... Read more
उत्तराखंड के सबसे प्रतिभावान फोटोग्राफर में एक नाम कमल जोशी है. कमल जोशी ने जीवन भर कुमाऊं गढ़वाल के पहाड़ों में घूम कर पहाड़ के जीवन की पीड़ा अपने कैमरे में कैद की. कुछ वर्ष पहले कमल की आकस्मिक... Read more
रोपणी के खेत से जीतू को हर ले गयी आंछरियां
इन दिनों पहाड़ के गांवों के खेतों में रोपाई अर्थात रोपणी की जा रही है. अषाढ़ के महीने की छः गते की रोपणी को लेकर आज भी पहाड़ के लोक में माना जाता है कि इस दिन रोपणी के सेरे (रोपाई के खेत) मे... Read more
दोपहर का समय होगा जब अचानक ही मेरा प्लान कपिलेश्वर महादेव के मंदिर जाने का बन गया और मैं निकल गयी कपिलेश्वर महादेव मंदिर के लिये. अल्मोड़ा जिले के इस मंदिर को पर्यटन के नजरिये से बहुत ज्यादा... Read more
पहाड़ की कहानियां जो पिछली सदी में बैगा हुड़किया ने सुनाई थी पादरी ई एस ओकले और तारा दत्त गैरोला को : एक समय की बात है कि लखीमपुर नामक स्थान में काला भंडारी नाम का व्यक्ति रहता था, उसके पिता... Read more