[पिछ्ला भाग: तब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनी] बची गौड़ धर्मशाला के अलावा उसी समय अनेक उल्लेखनीय कार्य भी हुए. सन 1884 में पं. देवीद... Read more
भले कुमांउनी भाषा न होकर अभी तक बोली ही मानी जायेगी, क्योंकि न तो इस का मानकीकरण हुआ है और न व्याकरण. लेकिन लिपिबद्धता की सीमितता के बावजूद वाचिक परम्परा से पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित इस का... Read more
हल्द्वानी ब्लॉक की पनियाली ग्राम सभा से मात्र 21 साल 3 महीने की उम्र में ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर रागिनी आर्या ने नया इतिहास रचा है. रागिनी आर्य सबसे कम उम्र की जनप्रतिनिधि बनी हैं. (Youn... Read more
अलविदा सुरेन्द्र पुंडीर भैजी
लिखा-पढ़ी से जुड़ा उत्तराखण्ड में कौन होगा जो इस शख़्स को नहीं जानता होगा. साहित्य-संस्कृति-पत्रकारिता का कोई भी आयोजन हो पुंडीर भाई खोली के गणेश की तरह सबसे पहले स्थापित हो जाते थे. बल्कि... Read more
चौखुटिया से 12 किलोमीटर पहले रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर तल्ला गेवाड़ में एक छोटी सी बसासत है मासी. 20 अक्टूबर के दिन यहां एक हाफ मैराथन का आयोजन किया गया था. इस हाफ मैराथन और... Read more
तब बची गौड़ धर्मशाला ही यात्रियों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी हल्द्वानी में – 1894 में बनी
[एक ज़माने में तराई-भाबर का भी इकलौता बाजार था हल्द्वानी का मंगल पड़ाव] हल्द्वानी में आने-जाने वालों के लिए इकलौता विश्राम स्थल थी बची गौड़ धर्मशाला. कहा जाता है कि बची गौड़ ने इस धर्मशाला का नि... Read more
हल्द्वानी में पहले हल्दू के पेड़ बहुतायत में हुआ करते थे इसलिए उसे हल्द्वानी कहा जाने लगा. वर्तमान हल्द्वानी के निकट मोटाहल्दू और हल्दूचौड़ गांव हैं. पूर्व में मोटाहल्दू के निकट वाले क्षेत्र क... Read more
ऐसे बना था नीमकरौली महाराज का कैंची धाम मंदिर
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के सन्त बाबा नीम करौली अथवा नीब करौरी के चमत्कारों के संबंध में प्रचुर साहित्य उपलब्ध है न कि हिन्दी में, अपितु सात समन्दर पार उनके भक्तों ने दूसरी भाषाओं में बहुत कुछ... Read more
मेरे दादा के समय तक के किस्से मैंने बचपन में खूब सुने. जितने भी किस्से सुने उनमें एक किस्सा होता कि पहले लोग नमक लाने के लिए यहाँ से टनकपुर तक की पैदल यात्राएँ करते थे. मामूली जरूरतों तक सीम... Read more
कुमाऊनी में सभी दीर्घ स्वरों के हृस्व रूप भी मिलते हैं. कहीं-कहीं यह हृस्वात्म्कता अर्थ्भेदक भी है. जैसे – (Main Characteristics of Kumaoni Language) आ'म = दादी,नानी आम = फल विशेषखे'ल... Read more