लंबे समय में प्रशासनिक एवं राजनैतिक रूप से उपेक्षित पहाड़ के सुदूरवर्ती गांवों में भी विज्ञान एवं तकनीकी का एक समृद्ध स्वरूप विकसित होता रहा है. यहां भी लोक के अपने हरफनमौला शिल्पी रहे हैं ज... Read more
बूबू और उनके बर्मा के किस्से
आज हम अपने पहाड़ों की खूबसूरती, ताजी हवा, शुद्ध पानी, संपदा व संस्कृति का गुणगान करते नहीं थकते. यह सब हमें ऐसे ही नहीं मिला है. हमारे पहाड़ों को बचाने के लिए हमारे बड़बाज्यू, बूबू, आमा, काक... Read more
पहाड़ी संस्कृति को अन्तराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले मोहन उप्रेती की पुण्यतिथि है आज
1955 का साल था. दुनिया में शीतयुद्ध की हवा गर्मा रही थी. भारत के दौरे पर सोवियत रूस के दो बड़े नेता आये और भारत और सोवियत रूस के बीच संबंधों का एक नया अध्याय लिखा जाना था. रूस से आये दो मेहम... Read more
ओ परुआ बौज्यू की गायिका वीना तिवारी
यदि उत्तराखंड और विशेषरूप से कुमाऊं अंचल की बात करूं तो यहां की सर्वाधिक पसंदीदा फीमेल वाइस नईमा खान उप्रेती, वीना तिवारी और कबूतरी देवी रही हैं और इन सभी गायिकाओं ने अपनी-अपनी कर्णप्रिय आवा... Read more
आज बछेंद्री पाल का जन्मदिन है
निखालिस पहाड़ी बछेंद्री पाल संसार की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला ‘माउंट एवरेस्ट’ को फतह करने वाली दुनिया की 5वीं और प्रथम भारतीय महिला हैं. इन्होंने यह कारनामा 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट... Read more
पूरन दा और उनकी चलती-फिरती काफल की दुकान
गर्मियों के आने की आहट के साथ आ जाता है पहाड़ों का रसीला काफल. हर साल अपने रुप से हर किसी का मनमोह लेना वाला यह फल साल दर साल आम आदमी की जेब से दूर होता जा रहा है. कुछ साल पहले पांच रुपए में... Read more
उद्यमशीलता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम है तुलसीदेवी का. पिथौरागढ़ के नौलेरा गाँव में 1919 में भोटिया व्यापारी सीमासिंह रावत तथा सरस्वती रावत ने एक कन्या को जन्म दिया. नाम पड़ा तुलसी. पर... Read more
उत्तराखंड के वीर कफ्फू चौहान की गाथा
उदयपुर परगने की जुवा पट्टी में गंगा नदी के किनारे एक ऊँचे टीले पर ‘उपुगढ़’ स्थित था. उसका शासक उन दिनों चौहान वंशीय युवक कफ्फू चौहान था. उसे अपने गढ़ की स्वाधीनता प्राणों से भी प... Read more
चन्द्र सिंह गढ़वाली के गांव से गुजरते हुए
चौंरीखाल से चलें तो तकरीबन 5 किमी. आगे पैठाणी से आने वाली सड़क हमारी सड़क से जुड़ गयी है. ललित बताते हैं कि पैठाणी वाली सड़क भी बिट्रिश कालीन ऐतिहासिक मार्ग पौड़ी-रामनगर का ही हिस्सा है. कैन... Read more
(23 साल की उम्र में देश की आज़ादी के लिए शहादत देने वाले भगत सिंह ने तब तक इतना कुछ लिख दिया था जो आज भी रौशनी देता है. ब्रिटिश भारत में होने वाले दंगों के बारे में यह लेख भगत सिंह ने 1928 मे... Read more