हरेले से एक दिन पहले कुमाऊँ अंचल में डिकारे पूजे जाते हैं. कुछ लोग पहले ही डिकारे तैयार कर लेते हैं और कुछ आज ही उन्हें बनाते हैं. हरेले से एक दिन पहले गौधूली के बाद डिकारे पूजे जाते हैं. इस... Read more
हरेला लोकपर्व का पर्यावरण से संबंध
आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण सबंधित समस्याओं से जूझ रहा है. प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना मानव के जीवन को सुखी, समृद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण का विशेष महत्व है.... Read more
हनोल का महासू देवता मंदिर
देवभूमि उत्तराखण्ड को शिव का निवास माना गया है. यहां भगवान शिव को कई रूपों में पूजा जाता है. हिमाचल सीमा से सटे उत्तराखण्ड के जौनसार-बावर तथा रवाई जौनपुर में पूजे जाने वाले महासू देवता इन्ही... Read more
हमारे पहाड़ों में नैंनांग देने की एक परम्परा है. नई फसल का पहला भोग अपने इष्टदेव को चढ़ाने का रिवाज यहां बहुत पुराना है. सभी गांव के लोग मंदिर में पूजा पाठ कर वहीं खाना बनाकर खाकर लौटते हैं.... Read more
मंदिर में रखी पत्थर की मूर्तियों पर पानी छिडका जाता है और प्रार्थना की जाती है —“परमेश्वर खुश हो जा, मेरी भूलचूक क्षमा कर और ये मेमना तेरी भेंट है, इसे स्वीकार कर, मैं नासमझ हूं और तू अन्तर्... Read more
घ्वीड़ संग्रान्द : एक पारम्परिक उत्तराखंडी त्यौहार
आज ज्येष्ठ मास की संक्रांति है. लगभग हर मास की संक्रांति को हमारे पहाड़ में किसी न किसी त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, इस संक्रांति को हमारे क्षेत्र में घ्वीड़ संक्रांति के रूप में मनाया... Read more
उत्तराखंड में देवी-देवताओं को ही नहीं असुरों व दानवों की भी पूजा की जाती है. यहां देवताओं की तरह पूजे जाने वाले असुरों के पूजा स्थल भी मौजूद हैं. ऐसा ही एक स्थान है पिथौरागढ़ में सिलथाम बस अ... Read more
रुद्रप्रयाग जिले के केदारखंड में मां मंदाकिनी के तट पर स्थित सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर में कुछ समय पूर्व तक मन्नतें पूरी होने पर लोग बड़ी संख्या में जानवरों की बलि देते थे. जिसमें बकरी और भैंसा... Read more
श्री हनुमान धाम छोई
पिछले कुछ वर्षों में हनुमान धाम मंदिर रामनगर आने वाले पर्यटकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय रहा है. कार्बेट से लगा हनुमान धाम मंदिर इसी दशक में बना है. छोई गांव में स्थित यह भव्य मंदिर क्षेत्र मे... Read more
बसंत के पुजारी पहाड़ी बच्चों का आस का पर्व: फुलदेई
फुलदेई, उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध और बच्चों का खूबसूरत त्योहार है. फुलदेई शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है. फूल और देई (देळी) अर्थात देहरी. फुलसंग्रांद और फुल फुल माई नाम से भी ये त्योहार जाना... Read more