उत्तराखंड में इन दिनों सातों आठों लोकपर्व की धूम है. सातों-आठों भाद्रपद मास की सप्तमी और अष्टमी को मनाया जाने वाला एक लोकपर्व है. भाद्रपद मास की पंचमी को बिरुड़ पंचमी कहते हैं. इस दिन पांच या... Read more
आज भिगाते हैं सातों-आठों लोकपर्व के लिये बिरुड़े
कुमाऊं के गांवों में आज से सातों-आठों लोकपर्व की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं. सातों-आठों कुमाऊं में बड़े उल्लास मनाया जाने वाला लोकपर्व है. (Biruda Panchami ) बिरुड़े का अर्थ पांच या सात प्रकार... Read more
अपनी विशिष्ट लोक परम्पराओं से उत्तराखंड के लोग अपने समाज को अलग खुशबू देते हैं. शायद ही ऐसा कोई महिना हो जब यहां के समाज का अपना कोई विशिष्ट त्यौहार न हो. ऐसा ही लोकपर्व आज घी त्यार या घ्यूं... Read more
बग्वाल 2019 के कुछ और फोटो: रोहित भट्ट
थाना बाज़ार, अल्मोड़ा में रहने वाले हमारे पाठक रोहित भट्ट ने देवीधूरा में 15 अगस्त को हुई बग्वाल की कुछ बेहतरीन छवियाँ भेजी हैं. रोहित फिलहाल ‘अमर उजाला’ से जुड़े हैं. (Bagwal Pho... Read more
काली कुमाऊँ के देवीधूरा की बग्वाल
काली कुमाऊँ के देवीधूरा में रक्षा बंधन (श्रावणी पूर्णिमा) के दिन बग्वाल (पत्थर युद्ध) खेले जाने की परंपरा है. इससे पहले परंपरा के अनुसार श्रावण शुक्ल एकादशी के दिन बग्वाल यूद्ध में भाग लेने... Read more
क्या होती है पार्थिव पूजा
पार्थिव पूजा कुमाऊँ में सर्वत्र मनाया जाने वाला अनुष्ठान है. श्रावण के महीने में काली चतुर्दशी के दिन इस पूजा का विशेष महत्त्व माना जाता है. (Parthiv Puja and Folk Art) श्रावण मॉस के इस दिन... Read more
उत्तराखंड में महिलाओं के आभूषण किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं. इन्हीं आभूषणों में एक नाक की नथ या नथुली. नथ, उत्तराखंड में विवाहित महिलाओं द्वारा नाक में पहना जाने वाला एक आभूषण है. एक पारंप... Read more
पहले इस तरह होता था कुमाऊं में नामकरण संस्कार
किसी भी परिवार में शिशु का जन्म किसी उत्सव से कम नहीं है. कुमाऊं में पहले शिशु के नामकरण किस तरह किया जाता जाता था, इस पर एटकिंसन ने क्या लिखा है पढ़िये : पूरे कुमाऊं में सामान्य रूप से शिशु... Read more
पहाड़ियों को बहुत प्रिय है घुघूती
पहाड़ों में जिन पक्षियों ने जनमानस को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है उनमें से एक है घुघूती. इससे जुड़े गीतों किस्से कहानियों किवदंतियों से शायद ही उत्तराखंड का कोई हिस्सा अछूता रहा हो. यह आकार... Read more
उत्तराखंड का बहुजन समाज मुख्यतः कृषक और पशुपालक रहा है. इनके लिए जमीन और पशुधन सबसे ज्यादा प्रिय और कीमती है. इसीलिए उत्तराखंड के पर्वतीय समाज में एक दिन पशुओं के उत्सव का भी तय किया गया है.... Read more