नैनीताल में नन्दा देवी मेले की तस्वीरें
उत्तराखंड में इन दिनों नन्दादेवी मेला बड़े ही उत्साह और उल्लास से मनाया जा रहा है. हिमालय की चोटियों पर रहने वाली नन्दा उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मानी जाती है. गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल द... Read more
कठपतिया के बारे में बचपन से सुनते आया था, कुछ दिन पूर्व इसी पोर्टल पर प्रख्यात कथाकार बटरोही जी के चर्चित उपन्यास ‘थोकदार किसी की नहीं सुनता’ के अंश में कठपतिया के बारे में पढ़ने को मिला तो... Read more
पानी संग्रहण की परंपरागत पहाड़ी विधियां
पहाडों में पानी संग्रहण करने की कुछ पारम्परिक पर वैज्ञानिक विधियां रहीं हैं जो आज लुप्त हो रही हैं. यदि उनके बारे में अच्छे से समझा जाये और उन्हें आज फिर अपनाया जाये तो पानी की समस्याओं से छ... Read more
मिथुन हालदार. कोलकत्ता से आया स्पेशल चाहा पिलाने. गर्मी उमस में निम्बू का फाइनल फ्लेवर. पेपर कप में ऊपर तक छलकती हरे भूरे काले रंग की नमकीन चुस्की. इसमें गजब्ब का हाजमोला फार्मूला है.... Read more
इनसे बनती है 5 ट्रिलियन इकॉनमी बाबूजी!
इधर 5 ट्रिलियन इकॉनमी की बड़ी चर्चा है. हमारे वरिष्ठ सहयोगी और अर्थशास्त्री, फोटोग्राफर प्रोफ़ेसर मृगेश पाण्डे ने इस वक्तव्य को ध्यान में रखते हुए एक शानदार फोटो निबंध तैयार किया है. साथ ही उन... Read more
आज है पिथौरागढ़ के कुमौड़ गांव में हिलजात्रा
पिथौरागढ़ के कुमौड़ गांव में आज शाम हिलजात्रा का आयोजन किया जायेगा. हिलजात्रा पिथौरागढ़ में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला एक कृषि उत्सव है. इसमें कोई बैल की जोड़ी बनता है, कोई हलिया बनता है... Read more
भारत में गुरु को ईश्वर से अधिक कर दर्जा दिया जाता है. इसके बावजूद भारत में सरकारी स्कूल के शिक्षकों से जुड़ी बड़ी ख़राब खबरें आये दिन पढ़ने को मिलती हैं. उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों का क्या हाल... Read more
काली कुमाऊँ के देवीधूरा की बग्वाल
काली कुमाऊँ के देवीधूरा में रक्षा बंधन (श्रावणी पूर्णिमा) के दिन बग्वाल (पत्थर युद्ध) खेले जाने की परंपरा है. इससे पहले परंपरा के अनुसार श्रावण शुक्ल एकादशी के दिन बग्वाल यूद्ध में भाग लेने... Read more
गुमानी और गौर्दा का देशप्रेम
कुमाऊं अंचल में हिंदी की खड़ी बोली में साहित्य की परंपरा लम्बे समय तक मौखिक रही. कुमाऊं में हिंदी की खड़ी बोली में साहित्य का लिखित रूप प्रायः सन 1800 के बाद ही दिखाई देता है. (Nationalism... Read more
मध्य हिमालय के भारत तिब्बत सीमा में स्थित मिलम ग्लेशियर से निकलने वाली गोरीगंगा की सुरम्य जोहार घाटी का प्राकृतिक सौन्दर्य जितना अलौकिक है, उतनी ही विशिष्ट रही है वहां की शौका संस्कृति और उस... Read more