अल्मोड़ा के वैज्ञानिक श्रीकृष्ण जोशी की उपलब्धियों को विश्व के तमाम प्रकाशनों में जगह मिली थी. लिम्का बुक ऑफ़ रेकॉर्ड्स में उनके नाम पर यह प्रविष्टि दर्ज है – (Limca Book of Records al... Read more
उन्नीसवीं शताब्दी में अल्मोड़ा नगर के दो सगे भाइयों ने अपने क्षेत्रों में ऐसा काम कर दिखाया था जिस पर प्रत्येक कुमाऊनी गर्व कर सकता है. ज्येष्ठ भाई देवीदत्त जोशी ने कुमाऊँ में गेय पद्धति पर आ... Read more
तब हम रानीधारा की सड़क में दौड़ लगाते थे. दस बारह वर्ष के रहे होंगे या चौदह-पन्द्रह के. सन 1940 से 1945 तक का समय था. धीरेन्द्र उप्रेती, मोहन पांडे और मैं और हरी-भरी दूर्वादल से ढंकी पैदल सड़क.... Read more
कौन है पहाड़ों की नन्दा देवी
शिव के साथ-साथ शक्ति की उपासना भी अति प्राचीन काल से होती आई है बल्कि यह कहना अधिक उचित होगा कि उत्तराखंड के जनमानस में शक्ति महत्त्व शिव से भी अधिक है. वह भिन्न-भिन्न नामों से भिन्न-भिन्न र... Read more
पलायन का असर उत्तराखण्ड पंचायत चुनावों पर भी
पलायन का असर उत्तराखण्ड के ग्राम पंचायत चुनावों में साफ़ दिखाई दे रहा है. कई ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी तक नहीं मिल रहे हैं. दैनिक हिन्दुस्तान की रपट के आंकड़े चौंकान... Read more
उत्तराखंड का वह गांव जिसकी गिनती भारत के पहले दस हॉन्टेड गावों में होती है
जब कभी भारत में भुतहा या हॉन्टेड गांव की बात आती है तो देश के पहले दस गावों की सूची में आने वाला एक गांव उत्तराखंड का भी है. यहां हॉन्टेड का अर्थ किसी गांव के खाली होने से नहीं है बल्कि गांव... Read more
जब 500 रुपये का जुर्माना हुआ दानसिंह मालदार पर
गोविन्द राम काला की शानदार किताब ‘मेमोयर्स ऑफ़ द राज’ के कई अंशों का अनुवाद आप काफल ट्री पर पढ़ चुके हैं. आज पढ़िए अपनी इस पुस्तक में पिथौरागढ़ के मालदार परिवार को लेकर गोविन्द राम काला ने क... Read more
अल्मोड़े का प्यारा पानी
अल्मोड़ा के सुनार मोहल्ले में एक पुरानी दुकान है – श्याम लाल हीरा लाल एंड संस. इस दुकान की स्थापना 1885 में हुई थी. श्याम लाल साह जो मोती लाल साह के पुत्र थे, के तीन बेटे हुए – हीरा लाल साह,... Read more
जो तेरा गवर्नर, वो मेरा डिप्टी होता है यादों में लगभग 30 – 32 साल पीछे लौट जाऐं तो बहुत सी स्मृतियाँ लौट आती हैं और कभी फुर्सत हो जाय तो लिखने का मन भी करता है. बचपन में हमारे घर में ए... Read more
मेरा गांव मझेड़ा
लौह अयस्क से परिपूर्ण एक पहाड़ी और उसकी सीमा रेखा बनाती दो नदियाँ- खैरना और कोशी. एक उत्तरवाहिनी तो दूसरी पश्चिम की ओर आते-आते दक्षिण-पश्चिम को ओर चल देने वाली. उत्तर-पूर्व और दक्षिण में इन... Read more