बैसी उत्तराखण्ड में सावन के महीने में 22 दिनों तक मनाया जाने वाला लोकपर्व है. यह त्यौहार खरीफ की फसल में जुटकर थक चुके किसानों में नयी उमंग पैदा करता है. इस त्यौहार में किये जाने वाले धार्मि... Read more
आज है आंचलिक त्यौहार वट सावित्री
वैश्वीकरण और बाजारीकरण की आंधी में लोकोत्सवों, स्थानीय त्यौहारों का वजूद ख़त्म होता जा रहा है, या फिर उनका मूल स्वरुप लुप्त होता जा रहा है. उत्तराखण्ड के भी कई मेले, त्यौहार अपना मूल स्वरुप ख... Read more
जागर-गाथा और पाँडवों का जन्म
मानव में बुद्धि के उत्पन्न होने के साथ ही उसने किसी परालौकिक शक्ति की कल्पना कर ली होगी जिसने कालान्तर में इस शक्ति को कई रूपों में विभाजित कर दिया होगा. इस विभाजन से पृथ्वी पर मानव के विस्त... Read more
उत्तराखण्ड के सूर्य मंदिर
उत्तराखण्ड में भगवान सूर्य के मंदिरों की बात चलती है तो सबसे पहले अल्मोड़ा-रानीखेत मार्ग पर स्थित कटारमल के सूर्य मंदिर का ध्यान आता है. यहाँ स्थापित सूर्य देवता को बड़ादित्य के नाम से पुकारा... Read more
उत्तराखंड के प्रस्तर शिल्प में गंगा -कौशल सक्सेना भारतीय इतिहास में सबसे पहले गंगा का मूर्ति-रूप में अंकन गुप्त काल में ही प्रारम्भ हुआ. गंगा दर्शन परम मांगलिक प्रतीक बना. गंगा दर्शन के बिना... Read more
कुमाऊं की पारंपरिक चित्रकला ऐपण
दीवाली का त्यौहार नजदीक ही है. इस त्यौहार में कुमाऊ के सभी घरों को ऐपण से सजाया जायेगा. ऐपण एक पारंपरिक कुमाऊनी चित्रकला है. इस लोक चित्रकला का सभी स्थानीय धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण... Read more
विन्देश्वर का ऐड़ाद्यो महादेव मंदिर
विन्देश्वर का ऐड़ाद्यो महादेव मंदिर – धरणीधर पाण्डे यह मंदिर अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर कस्बे से लगभग 23 किमी. दूर बाँज व बुराँश के घने जंगलों के बीच स्थित है. इस मंदिर में गोलूछीना, पथरि... Read more
रिखणीखाल में है ताड़केश्वर महादेव का मंदिर
जनपद पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल विकासखण्ड से लगभग पच्चीस किलोमीटर बांज तथा बुरांश की जंगलों के बीच चखुलियाखांद से लगभग सात किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है ताड़केश्वर महादेव मंदिर. गढ़वाल राइफल क... Read more
उत्तराखण्ड और हिमाचल में पहाड़ी, पुरानी दीवाली का पर्व मनाया जाता है. यह मुख्य दीवाली के 11 दिन बाद, कार्तिक शुक्ल एकादशी, को मनाया जाने वाला त्यौहार है. इसे हरिबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के... Read more
पहली दफा मानव शरीर में देवता का अवतरण है नौताड़
उत्तराखण्ड में जागर के धार्मिक अनुष्ठान का बहुत बड़ा महत्त्व है. जागर के दौरान व्यक्ति शरीर में इष्टदेव का अवतरण होता है. यह देवता लोगों की समस्याओं के कारण बताता है और उनका निदान भी करता है.... Read more