लोक कथा : जूँ हो!
नरेन और मधुली दोनों जुड़वां का आपसी स्नेह गाँव भर में चर्चा का विषय रहता. दोनों भाई-बहनों को कोई भी देखता तो एक साथ ही. दोनों साथ खेलते, खाते-पीते और नदी किनारे मौज मस्ती करते. (Folklore of... Read more
अल्मोड़ा में महिला होली के रंग : फोटो निबंध
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में इन दिनों होली की धूम है. महिलाएं, बच्चे, पुरुष सभी होली के रंग में हैं. अल्मोड़ा की महिला कल्याण संस्था द्वारा अल्मोड़ा की ऐतिहासिक बाज़ार में महिलाओं की खड़ी होली... Read more
हैं बिखरे रंग माज़ी के
उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था! विपुल ने भी लगभग चार साल बाद ही फोन किया था. पहली कुछ लाइनों में तकल्लुफ़ था. हाल-चाल था. अभी वाला परिवार था, ज... Read more
लोक कथा : लड़की जिसका सर्प के साथ ब्याह हुआ
एक अन्यायी और चापलूसी-पसंद राजा था. जो तो उसकी चाटुकारी में कसीदे गढ़ता उसे वह खूब खैरात बांटता लेकिन जो उसके मुंह पर सच बोल देता उसे वह कठोर दंड दिया करता. राजा की दो बेटियां थीं. बड़ी बेटी... Read more
भाव राग ताल नाट्य अकादमी द्वारा आयोजित, ‘मूल लेख बादल सरकार व हिंदी अनुवाद अभिषेक गोस्वामी’ नाटक “हट्टमाला के उस पार” का सफलतापूर्वक सुन्दर मंचन किया गया, कलाकारों द्... Read more
लोक संस्कृति के आधार स्तंभ थे शिवचरण पांडे
बीते मंगलवार उत्तराखंड लोक संस्कृति के आधार स्तंभ शिवचरण पांडे का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया. शिवचरण पांडे (Shivcharan Pandey)वह नाम है जिन्होंने अल्मोड़ा की रामलीला और होली की परम्परा... Read more
लोक कथा : मनमंजरी और सियार
किसी जंगल में एक बकरा और बकरी साथ रहा करते थे. बकरी का नाम था मनमंजरी. दोनों बहुत दुखी थे, उनके दुःख का कारण था उसी जंगल में रहने वाला एक सियार. जब भी मनमंजरी बच्चों को जनम देती तो सियार उन... Read more
लोक कथा : माँ की ममता
प्यार से गोपू पुकारा जाने वाला गोपाल बहुत मिन्नतों के बाद पैदा हुई अपने माता-पिता की इकलौती संतान था. माता-पिता अपनी मनोकामना का फल भोग ही रहे थे कि गोपू के बाबू चल बसे. इजा के पास अपने पति... Read more
रंग-भरी एकादशी के साथ असल पहाड़ियों की होली शुरू
पहाड़ों में असल होली की शुरुआत एकादशी से ही होती है. दशमी और एकादशी के जोड़ के दिन गांव-गांव में चीर बांधने की परम्परा है. पहाड़ों में पैय्या की एक टहनी पर रंग-बिरंगे कपड़े बांधे जाते हैं इस... Read more
लोककथा : भाई भूखा था, मैं सोती रही
चैत्र का महीना शुरू हो गया था. सभी ब्याहताओं की तरह वह भी अपने भाई का रस्ता देखने लगी. भाई आएगा और भिटौली लाएगा. उसके आने से गांव-घर के दुःख-सुख पता चलेंगे. वह गरीब परिवार से थी. बाबू बचपन म... Read more