कभी हिमालयी गड़रियों का अन्वाल थौड़ अब मुनस्यारी और उत्तराखण्ड की शान बन चुका विख्यात पर्यटन स्थल है. खलिया बुग्याल उच्च हिमालयी क्षेत्र का बुग्याल है. यह मुनस्यारी हिल टाउन से 13 किमी की दू... Read more
पहाड़ में पलायन का एक बड़ा कारण शिक्षा का अभाव है. पहाड़ों में पिछले कुछ सालों में 3000 से अधिक प्राथमिक विद्यालय बंद किये जाने की खबर आती रहती है. इस विद्यालयों को बंद किये जाने का कारण बच्... Read more
अब आदि कैलास की मोटर यात्रा
पिथौरागढ़ सीमांत में लिपुलेख तक जाने वाला पथ न केवल आदि कैलास व कैलास-मानसरोवर यात्रा के कारण बल्कि चीन की सीमा की समीपता से वर्तमान परिस्थितियों में सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्पूर्ण बन जात... Read more
लोकप्रिय सिनेमा में ऋषिकेश
रियासत-काल में रास्ते दुरुह-दुर्गम थे. तब भी चारधाम यात्रा तो चलती ही थी. सन् 1880 में परिव्राजक विशुद्धानंद जी, जिन्हें लोग कालीकमलीवाले बाबा के नाम से जानते थे, के प्रयत्नों से यात्रा कुछ... Read more
दारमा घाटी के सरल हृदय वाले लोग
उत्तराखंड में पंचाचूली चोटियों का नाम सभी जानने वाले हुए. कच्ची सड़क बन जाने से अधिकतर तो अब इसके पास भी जाने लगे हैं. पंचाचूली ग्लेशियर तक जाने के लिए दारमा घाटी में बसे दांतू गांव से पैदल... Read more
जीवन में अगर हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो स्थितियां कैसी भी आएं, हम उनसे परेशान हुए बिना आनंद के साथ जीवन जी सकते हैं, क्योंकि सकारात्मक सोच मुश्किलों में से भी अवसरों को तलाश कर लेती है.... Read more
बाघ अवसरवादी भी होते हैं इसका एक नजारा ढिकाला के ग्रासलैंड में देखने को मिला जहां एक युवा बाघ जिप्सियों की आड़ लेकर हिरन के पीछे भागता हुआ नज़र आया. (Memoir of Deep Rajwar) हाल में ही ढिकाला... Read more
लोक कथा : चालाक शत्रु
एक बार जंगल में एक तेंदुआ, एक भेड़िया, बिल्ली, लोमड़ी और एक चूहे ने हिरन को मारने की योजना बनाई. यह ऐसा काम था जिसे वे कोई भी अकेले नहीं कर सकते थे. चालाक लोमड़ी ने कहा, “जब वो सो रहा होगा त... Read more
पिथौरागढ़ की हिलजात्रा की दिल्ली में धूम
इन दिनों राजधानी दिल्ली में संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अन्तर्गत क्लाइडस्कोप नाम से लोककला और लोकसंस्कृति से जुड़ा आयोजन किया जा रहा है. 21 से 30 मार्च तक चलने वाले... Read more
पोषक तत्वों से भरपूर चौलाई की हरी सब्जी
ग्रीष्म ऋतु में हरी सब्जी खाने की ललक के कारण कल सब्जी मंडी से हरा सोना खरीद लाए और उसकी स्वादिष्ट सब्जी बनाई. ग़जब का स्वाद था. अब तक तो हम इसे चुआ, चौलाई या मार्छा ही कहते थे लेकिन कल इसे... Read more