सियार का फैसला- लोक कथा
एक सियार था. एक बार वह अपने शिकार की तलाश में निकला. उसने दूर से देखा, एक आदमी एक बाघ के आगे-आगे चल रहा है. उसे बात समझ न आई और वह छुप-छुपकर उनका पीछा करने लगा. तभी उसे आदमी की आवाज़ सुनाई प... Read more
नववर्ष के दिन बोया जाता है ‘हरेला’
माना जाता है कि चैत्र प्रतिपदा से नये साल की शुरुआत होती है आज के दिन से ही नवरात्रि भी होती है. पहाड़ों में आज के दिन उपवास रखा जाता है और कुछ जगहों पर आज के दिन हरेला भी बोया जाता है. हरेल... Read more
पहाड़ों में इस अंदाज में मनेगा आज नववर्ष
आज चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा का दिन है. आज के दिन से नवरात्रि शुरु होती है और हिन्दू नववर्ष भी मनाया जाता है. इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर कहा जाता है. चैत्र प्रतिपदा को ही नया संवत्सर शु... Read more
लोक कथा : आगे की लकड़ी जलकर पीछे ही आती है
किसी गांव में एक बूढ़ी अपनी बहू के साथ रहा करती थी. बूढ़ी सास का शरीर जर्जर हो चुका था, वह अक्सर बीमार रहती थी. सास को हाथ-पाँव जवाब दे चुकने के बाद घर पर बहू का ही राज था. बुढ़िया की सेवा क... Read more
गरुड़ ज्ञान चंद के समय चम्पावत के राजदरबार में बक्सी (सेनापति) के पद पर सरदार नीलू कठायत था. संभव है, वह सौन कठायत के वंश का हो. वह बड़ा बहादुर सेनापति था. राजा ने उसे हुक्म दिया कि वह तराई-... Read more
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘घर जमाई’
हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा. घर में से धुआँ उठता नजर आता था. छन-छन की आवाज भी आ रही थी. उसके दोनों साले उसके बाद आये और घर में चले गए. दोनों सालों के लड़के... Read more
कुमाऊनी भाषा की पहली पत्रिका ‘अचल’
1937 में साल के अंत-अंत तक कुमाऊनी में एक पत्रिका का विचार जीवन चन्द्र जोशी के दिमाग में जगह बना चुका था. अपनी बोली में एक पत्रिका निकालने के लिये इस बानगी ‘शक्ति’ और ‘कुमाऊं कुमुद’ अखबारों... Read more
जब तिल्लू बड़बाज्यू भिटौला लेकर आये
भिटौली पर याद आया कि उस साल हम पहाड़ में रहे थे जब तिल्लू बड़बाज्यू भिटौला लेकर आये होंगे. आप भी सोचते होगे कि भिटौला और बड़बाज्यू का भी क्या मेल? भिटौला तो भाई या ददा लेकर आते हैं, बेणीं या... Read more
मनोहर श्याम जोशी को याद करते हुए ‘कसप’ से एक अंश
यह शहर मुझे तभी स्वीकार करेगा जब मैं सरकारी नौकरी पर लगूं, तरक्की पाता रहूं और अवकाश प्राप्त करके यहाँ अपने पुश्तैनी घर में लौट आऊँ और शाम को अन्य वृद्धों के साथ गाड़ी-सड़क पर टहलते हुए, छड़... Read more
युगदृष्टा जोहारी ‘बाबू रामसिंह पांगती’
बाबू रामसिंह पांगती जोहार की उन महान विभूतियों में से एक थे जिन्होंने इस क्षेत्र के तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्धविश्वासों और डगमगाती अर्थव्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने का बीड़ा... Read more