दरजी का लड़का जो अपनी चतुराई से राजा बन गया
एक छोटे से गाँव में एक दरजी रहता था. उसने अपने बेटे को भी दरजी का काम सिखा दिया, ताकि वह गाँव में रहकर अपनी रोजी-रोटी कमा सके. एक दिन सुबह-सुबह दरजी का लड़का अपनी दुकान में काम कर रहा था. तभ... Read more
हरियाणा पंजाब समेत पूरे उत्तर भारत में बैसाखी बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है. बैसाखी के संबंध में यह माना जाता है कि आज ही के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह ने आनन्दपुर साहिब में ख... Read more
तब यातायात के साधन सुलभ नहीं थे. उस समय इन दुर्गम पर्वतीय तीर्थों की यात्रा करना अति कठिन कार्य था. तो भी बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन तीर्थों के दर्शन करके धर्म-लाभ करते थे तथा पुण्य... Read more
मोष्ट्या सोरघाटी के प्रमुख लोक देवताओं में से एक हैं. जैसा कि एक अलिखित परंपरा हमारे समाज में रही है कि हम अपने महान देवस्वरूप अवतारी महापुरुषों को वैदिक देवी देवताओं से जोड़कर देखते हैं. कि... Read more
वीजा के लिए इंतजार : अमेरिकी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल आंबेडकर की जीवनी का हिस्सा
विदेश में लोगों को छुआछूत के बारे में पता तो है लेकिन इससे वास्तविक सामना नहीं पड़ने के कारण वे यह नहीं जान सकते कि दरअसल यह प्रथा कितनी दमनकारी है. उनके लिए यह समझ पाना मुश्किल है कि बड़ी स... Read more
चोपता : खूबसूरत गुलाबी बुराँश का अदभुत संसार
चोपता उत्तराखंड की सबसे खुबसूरत जगहों के रूप ने जानी जाती है. दो हजार छः सौ आठ मीटर की ऊंचाई पर स्थित चोपता ऐसा लगता है मानो गढ़वाल हिमालय में किसी ने स्वर्ग का टुकड़ा रख दिया हो. बर्फ की चो... Read more
पिथौरागढ़ घूमते हुए चंडाक से मोष्टा मानू और आगे छेड़ा गाँव की ओर निकल जाइये. पंचचूली की नयनाभिराम पर्वत श्रृंखला के दाहिनी ओर दूर तक पसरी हुई छिपला कोट की मनमोहिनी पट्टी आपको दिखाई देगी. वही... Read more
लोककथा ‘सूरज के रथ का दाहिना घोड़ा’
एक था राजा, एक थी रानी. उनके पास सिपाही, घोड़े, दास-दासियाँ, धन दौलत सबकुछ था, सिर्फ उन्हें संतान नहीं थी. इसी कारण राजा-रानी बहुत ही दुःखी रहते थे. संतान-प्राप्ति के लिए उन्होंने हर तरह का... Read more
उत्तराखण्ड में वर्तमान शिक्षा प्रणाली का पहला स्कूल 1840 में श्रीनगर में खुला
1823 में ट्रेल ने लिखा — यहां सार्वजनिक स्कूलों जैसी कोई संस्था नहीं है. व्यक्तिगत तौर पर होने वाली पढ़ाई-लिखाई भी उच्च वर्ग के कुछ ही लोगों तक सीमित है. इन लोगों को ब्राह्मण शिक्षकों द्वारा... Read more
ब्रिटिश कुमाऊं में औषधीय खेती की शुरुआत
नौर्मन गिल ने बैलाडोना की खेती 1910 से ही शुरू कर दी थी. उस समय बैलाडोना का (एटरोपा बैलाडोना), की खेती, स्थानीय हकीम औषधि के लिये थे. इसके बीज को मई में बोने से जुलाई में 12 फीट ऊँचा पौधा मि... Read more