लोक कथा : चतुर बहू
बहुत समय पहले की बात है, किसी गांव में एक धनी साहूकार रहता था. उसके चार बेटे थे, चारों का विवाह हो चुका था. चारों बेटे और तीनों बड़ी बहुएं तो साधारण बुद्धि के थे, लेकिन छोटी बहू दुर्गा बड़ी... Read more
लोक कथा : जब अंडे ने बिल्ले से लिया बदला
एक बार एक जंगली बिल्ले ने एक मुर्गी से दोस्ती करने का बहाना किया पर सच तो यह था कि वह उस मुर्गी को खाना चाहता था. एक दिन बिल्ले ने मुर्गी से पूछा — “ओ मुर्गी, आज रात तुम कहाँ सोओगी?” मुर्गी... Read more
स्याल्दे-बिखौती का मेला
अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट कस्बे में सम्पन्न होने वाला स्याल्दे बिखौती का प्रसिद्ध मेला प्रतिवर्ष वैशाख माह में सम्पन्न होता है. हिन्दू नव संवत्सर की शुरुआत ही के साथ इस मेले की भी शुरुआत हो... Read more
देवलसमेत बाबा के मूल स्थान में चैतोल की तस्वीरें
पिथौरागढ झूलाघाट रोड पर स्थित कासनी गांव के पास ही एक देवलसमेत बाबा का सेरादेवल मंदिर स्थित है. देवलसमेत बाबा सोरघाटी के लोकदेवता हैं. देवभागा और चन्द्रभागा नदियों के संगम पर बसे सेरादेवल को... Read more
सोरघाटी से चैतोल की तस्वीरें
बीते दो दिन सोरघाटी के 22 गावों में चैतोल का आयोजन हुआ. चैतोल में सोरघाटी के प्रमुख लोकदेवता देवलसमेत महाराज अपनी बहिनों, माता भगवती के अनेक रुपों को भिटौली देने बाईस गांवों का भ्रमण करते है... Read more
कुमाऊँ में अलग विशेषताओं वाली जमीन के नाम
उत्तराखण्ड में अलग-अलग विशेषताओं वाली जमीन के लिए अलग शब्द या वाक्यांश इस्तेमाल किये जाते हैं. (Names of Land with Different Characteristics in Kumaon) ‘तलांव’ यानि निचाई वाली ऐसी जमीन जहां... Read more
पिथौरागढ़ के जाखपन्त गांव में चैतोल की तस्वीरें
सोरघाटी और उससे लगे गावों में आज और कल लोकपर्व चैतोल लोकपर्व मनाया जा रहा है. सोरघाटी के अतिरिक्त चैतोल गुमदेश में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस लोकपर्व में भगवान शिव अपनी बहिनों को भिट... Read more
सोरघाटी और गुमदेश में आज है ‘चैतोल’
चैतोल कुमाऊँ मंडल में चैत्र नवरात्र में मनाया जाने वाला त्यौहार है. मुख्यतः पिथौरागढ़ की सोर घाटी, चम्पावत के गुमदेश में चैतोल बड़ी धूम से मनाया जाने वाला त्यौहार है. चैत्र नवरात्र की अष्टमी... Read more
कुमाऊँ के पारंपरिक घरों की संरचना
कुमाऊँ के पारंपरिक गांव या गौं के मकान घर या कुड़ी कहे जाते हैं. घरों की निचली मंजिल गोठ हुआ करती है जहां पशुओं को बांधा जाता है. गोठ के आगे चौड़े बरामदे को गोठमल कहा जाता है. मकान की पहली म... Read more
आज थल मेले का आखिरी दिन है
आज थल मेले का आखिरी दिन है. महीने भर चलने वाला थल मेला अब तीन में सिमट गया है. आधुनिकता के दौर में थल मेले की पूरी रंगत भी गायब हो गयी है. कुछ साल पहले तक मेले में भगनौल, झोड़ा चांचरी की झलक... Read more