पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अंतर्यात्रा : यूँ शाख पे उगतीं हैं कोमल कोंपलें सुबह जब भी आँखें खुलती खिड़की से आती धूप सीधे आँखों पर पड़ती. सामने दिखता वह पहाड़. अब बिस्तर पर पड़े रहने, लधरन... Read more
बचपन में क्रिकेट की यादें
बात तब की है जब हम हाईस्कूल पास कर चुके थे. हमारे कुछ सीनियर मित्र भी थे जो इण्टर में पढते थे और कुछ आईटीआई कर रहे थे. हम लोग शाम को भाटीगांव के मैदान और नौलिंग मैदान में क्रिकेट खेलते थे. उ... Read more
लोक कथा : ब्राह्मण, बकरी और ठग
किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था. वह पूजा अनुष्ठान का अच्छा जानकार और विद्वान था और लोग आए दिन उस अपने घर में अनुष्ठान व् भोज के लिए निमंत्रण देते रहते थे. एक दिन ब्राह्मण एक प्रधान के यहां... Read more
प्रकृति उत्तराखंड के लोकपर्वों का अभिन्न हिस्सा है. उत्तराखंड के हर छोटे-बड़े त्यौहार में प्रकृति किसी न किसी रूप में आराध्य का स्थान रखती ही है. हरेला, फुलदेई, बसंत पंचमी, आठों जैसे अनेक पर... Read more
लोक कथा : कछुए ने बन्दरों से बदला लिया
बहुत दिनों पहले की बात है, कि एक बार एक कछुआ एक अजनबी शहर में नमक खरीदने गया. (Folklore Kachue ka Bandaron se badla) जब वह नमक खरीद कर वापस लौट रहा था तो उसने देखा कि बहुत सारे बन्दर एक पेड़... Read more
उत्तराखण्ड की अनूठी विवाह परम्पराएँ
बहुप्रचलित पूर्णतः वैदिक अनुष्ठान, संस्कार तथा स्थानीय रीति-रिवाज के साथ किये जाने वाले अंचल विवाह परम्परा के अलावा भी उत्तराखण्ड की विशेष विवाह परम्पराएँ हुआ करती थीं. इस तरह के विवाह विशेष... Read more
लोक कथा : घमंडी का सिर नीचा
बहुत पुरानी बात है कि एक जगह एक राजा रहता था जो अपने में ही इतना लगा रहता था और अपने कहने और करने में इतना घमंड महसूस करता था कि यह बात अब जनता में यह एक कहावत बन गयी थी “हमारे राजा जैसा मतल... Read more
(23 साल की उम्र में देश की आज़ादी के लिए शहादत देने वाले भगत सिंह ने तब तक इतना कुछ लिख दिया था जो आज भी रौशनी देता है. ब्रिटिश भारत में होने वाले दंगों के बारे में यह लेख भगत सिंह ने 1928 मे... Read more
जीवन और जंगल से बेदखल जंगल के राजा
शोभाराम शर्मा जी का नाम मैंने प्रयाग जोशी जी से सुना था. प्रयाग जी ने 1972-73 में पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट-जौलजीवी क्षेत्र के बीहड़ जंगलों/बस्तियों में घूम-घूम कर वनराजियों या वनरावतों (बणरौ... Read more
आज भगवती प्रसाद जोशी ‘हिमवन्तवासी’ की पुण्यतिथि है
गढ़वाली और हिन्दी के कालजीवी कहानीकार स्वर्गीय भगवती प्रसाद जोशी ‘हिमवन्तवासी’ का जन्म 17 अगस्त, सन् 1927 में जोश्याणा, पैडुलस्यूं, पौड़ी (गढ़वाल) में हुआ. ‘हिमवन्तवासी’ सरकारी अधिकारी रहे औ... Read more