तीसमारखां : नवीन सागर की कहानी
नगरपालिका बनी तो सरकार ने प्रशासनिक अधिकारी भेजा. अधिकारी युवा था. लम्बे बाल रखता था और गजलें गाता था. बोलता कम था. उसकी आंखों का भाव अच्छा नहीं था. जब से यहां नगर-पालिका बनी है, बस्ती भर के... Read more
पहाड़ की मत्स्य नीति
पहाड़ में पानी की कमी नहीं. चौमास आते ही पहाड़ की धरती उमड़-घुमड़ बादलों से घिर जाती है. बारिश की फुहारों से तृप्त होने लगती है. वर्षा की रिमझिम यहां की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर खड़े पेड़ों की असं... Read more
आज वीरेन डंगवाल का जन्मदिन है
वीरेन डंगवाल (5.8.1947,कीर्ति नगर,टिहरी गढ़वाल – 28.9.2015, बरेली,उ.प्र.) हिंदी कवियों की उस पीढ़ी के अद्वितीय, शीर्षस्थ हस्ताक्षर माने जाएँगे जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्मी और सुमित्रा... Read more
नेटफ्लिक्स में उत्तराखंड के पारम्परिक गहने
आजकल उत्तराखण्ड के पारंपरिक गहने पौंची और गलोबंद देश-विदेश में चर्चा में हैं. वजह है नेटफ्लिक्स की ताजा वेबसीरीज में इनका दिखाई देना. दरअसल अभिनेत्री नीना गुप्ता वेबसीरीज मसाबा मसाबा के एक ल... Read more
विद्यासागर नौटियाल की कहानी ‘जंगलात के सरोले’
ये चिपको वाले चैन नहीं लेने देंगे. पिछले कुछ वर्षों से पहाड़ पर तैनात डी.एफ.ओ. (डिविज़नल फॉरेस्ट ऑफीसर, प्रभागीय वनाधिकारी) शिव मंगल सिंह राणा की परेशानियाँ आजकल कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है... Read more
जब टार्च जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा थी
आजकल तो भाबर में अब शहर तो छोड़िए गांव-गांव बिजली की चमक पहुँच गयी है. चार दशक पहले ऐसा नहीं था. भाबर के अधिकतर गांव रात को अधेरे में डूबे रहते थे. रातों में गांव में एक अजीब तरह की नीरवता औ... Read more
निर्मल वर्मा की कहानी ‘परिंदे’
अंधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी. दीवार का सहारा लेकर उसने लैम्प की बत्ती बढ़ा दी. सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बैडौल कटी-फटी आकृति खींचने लगी. सात नम्बर कमरे में लड़कियों की बातचीत और... Read more
हरसिल की यात्रा
हरसिल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक खूबसूरत घाटी है, जो कि भागीरथी नदी के किनारे अवस्थित है. इसके साथ ही यह सेब के बागानों के लिए भी प्रसिद्ध है. ब्रिटिश काल में विल्सन नामक व्यक... Read more
छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: सारा जमाना ले के साथ चले
पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: बेचैन बहारों को गुलजार हम करें पिथौरागढ़ आते ही नैनीताल वाली आम आदत फिर से रूटीन पकड़ गई और ये थी शहर की परिक्रमा की. जिसे डोलीना कहा जाता. रोज... Read more
नैनीताल में पहला डोसा और छुरी-काँटा
पहाड़ों में 80 के दशक में पले बढ़े युवाओं के लिए भोजन के नाम पर अधिक व्यंजनों की गुंजाइश नहीं थी. घर में तो दाल ,रोटी, सब्जी, झूंअरे का चावल, जो दूध के साथ चीनी मिलाकर स्वीट डिश का काम भी कर... Read more