अनुपमा का प्रेम
ग्यारह वर्ष की आयु से ही अनुपमा उपन्यास पढ़-पढ़कर मष्तिष्क को एकदम बिगाड़ बैठी थी. वह समझती थी, मनुष्य के हृदय में जितना प्रेम, जितनी माधुरी, जितनी शोभा, जितना सौंदर्य, जितनी तृष्णा है, सब छ... Read more
लोकपर्व सातों-आठों पर कही जाने वाली कथा
कुमाऊं में सातों-आठों की खूब धूम रहती है. कुमाऊं क्षेत्र में एक बड़े समाज द्वारा सातों-आठों का पर्व मुख्य पर्व के रूप में मनाया जाता है. अलग-अलग क्षेत्र के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार... Read more
सातों-आठों में आज घर आयेंगी गौरा दीदी
पहाड़ में आज उत्सव का माहौल है. सुबह से ही घर की साफ-सफाई लिपा-पोती का जोर है क्योंकि आज गौरा दीदी अपने मायके आने वाली हैं. लोक की सबसे बड़ी विशेषता ही यह है कि यहां के आराध्य भी मानवीय रितो... Read more
वह एक प्रेम पत्र था
तहसील का मुख्यालय होने के बावजूद शिवपालगंज इतना बड़ा गाँव न था कि उसे टाउन एरिया होने का हक मिलता. शिवपालगंज में एक गाँव सभा थी और गाँववाले उसे गाँव-सभा ही बनाये रखना चाहते थे ताकि उन्हें टा... Read more
लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला को नमन
1984 की सर्द जनवरी के महीने लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला अपनी पत्नी और दो बेटियों को जल्द लौटने का वादा कर यूनिट गये. भारतीय सेना ने अप्रैल 1984 में सियाचिन पर अपना कब्जा करने लिये ऑपरेशन ‘मे... Read more
सातों-आठों में गाये जाने वाले गीत और परम्पराएं
भादों शुक्ल पक्ष पंचमी को बिरुड़ पंचमी मनती है.घरों में लिपाई पुताई की जाती है. ताँबे के बर्तन में गोबर गणेश बनता है. उस पर गाय का दूध डाल अक्षत पिठ्या फूल चढ़ाते हैं. पञ्च अनाजों के बिरुड़... Read more
घ्यूं त्यार क्यों मनाया जाता है
अपनी विशिष्ट लोक परम्पराओं से उत्तराखंड के लोग अपने समाज को अलग खुशबू देते हैं. शायद ही ऐसा कोई महिना हो जब यहां के समाज का अपना कोई विशिष्ट त्यौहार न हो. ऐसा ही लोकपर्व आज घी त्यार या घ्यूं... Read more
मक्खी और शेर की लड़ाई : लोककथा
एक जंगल की गुफा में एक शेर रहा करता था. एक दिन जंगल से लौटने पर उसने देखा की उसकी गुफा में एक मक्खी भिन-भिन करती मौज कर रही है. शेर ने मक्खी को घूरते हुये देखा तो मक्खी बेचारी सन्न. अब शेर ब... Read more
अब तो पहाड़ में घर ही कम बचे हैं. बचे हुये घरों में भी बुजुर्ग दम्पति अधिक हैं या फिर ऐसे लोग जिनको आधुनिक समाज में पिछड़े और मजबूर कहा जाता है. कमजोर और मजबूर कहे जाने वाले इन कन्धों ने ही... Read more
आज बिरुड़ पंचमी है
ईश्वर का भी मानवीकरण लोक परम्पराओं की सबसे ख़ास बात होती है. लोक परम्पराओं में ईश्वर होता तो परमशक्तिशाली है पर लोगों से उसका पारिवारिक रिश्ता रहता है. उत्तराखंड की लोक परम्पराओं में इसे सहज... Read more