शैलेश मटियानी की कहानी ‘कठफोड़वा’
पूरे दो वर्षों के अंतराल पर आज चंदन का तिलक माथे पर लगाया धरणीधरजी ने, तो लगा, किसी तपे तवे पर ठंडे पानी की एक बूंद लुढ़का दी है. थोड़ी देर तक उन्हें अपने माथे के इर्द-गिर्द ही नहीं, बल्कि भ... Read more
गिर्दा की कविता ‘मोरि कोसि हरै गे कोसि’
आज जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी ‘गिर्दा’ की पुण्यतिथि है. 22 अगस्त 2010 को अपने सभी प्रियजनों को अलविदा कहने वाले ‘गिर्दा’ एक जनकवि के साथ लोक के मयाले कवि हैं. उनकी यह... Read more
गिर्दा हमारे दिलों में अमर हैं
प्रख्यात जनधर्मी कलाकार-कवि के रूप में गिर्दा हमारे दिलों में अमर हैं. गिर्दा के अवसान के बाद उनके परम मित्र और हिन्दी के बड़े कवि वीरेन डंगवाल ने कबाड़खाना ब्लॉग पर एक बेहतरीन स्मृतिलेख लिख... Read more
कत्यूर शासकों ने जोशीमठ से राजधानी क्यों बदली
इस बात के साक्ष्य मिलते हैं कि उत्तराखंड क्षेत्र के पहले शासक कत्युरों की पहली राजधानी जोशीमठ में थी. यह भी माना जाता है कि जोशीमठ के मंदिर का निर्माण भी कत्युरों के आदिपुरुष वासुदेव ने ही क... Read more
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सत्ता में रहें या न रहें पर ख़बरों में हमेशा बने रहते हैं. कायदे से देखा जाये तो हरीश रावत को कोई भी आम चुनाव जीते हुए अब दो दशक होने को हैं इसके बाव... Read more
मेरे स्कूल का सुनहरा साल
पचास साल हो गये हैं, मेरे स्कूल की स्थापना के. स्वर्ण जयंती साल है 2022. पचास साल पहले 22 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री श्री कमलापति त्रिपाठी जी... Read more
कुमाऊं क्षेत्र में अब सिर ढकने की परम्परा पूरी तरह समाप्त हो चुकी है. कम लोग ही जानते हैं एक समय ऐसा भी था जब पूरे कुमाऊं क्षेत्र में सिर ढकने की परम्परा हुआ करती थी. सिर ढकने की इस परम्परा... Read more
पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अन्तर्यात्रा: सारा जमाना ले के साथ चले पिथौरागढ़ महाविद्यालय से शाम चार बजे के आस-पास बाहर निकलते ही मिल गये डॉ. मदन चंद्र भट्ट. इतिहास के विभागाध्यक्ष. अब मे... Read more
उत्तराखंड में भादो अष्टमी और सातों-आठों का लोकपर्व
इन दिनों कुमाऊं की धरती पग-पग पर माता भवानी की डलिया लेकर इन्हीं गीतों और संगीत के रंग में डूब रही है. चाँदनी रात में गाए जाने वाले ‘झोड़ा’ गीतों की तर्ज पर ही रात-रातभर चलने वाल... Read more
सातों-आठों से जुड़ी गौरा-महेश्वर की कथा
भादो के महीने की सप्तमी-अष्टमी तिथि को कुमाऊं के गांवों में सातों-आठों पर्व की धूम होती है, बच्चे नए कपड़े पहन मस्ती करते, गांव भर में यहां-वहां दौड़ते हैं, औरतें नई साड़ियां पहनती हैं, पिछौ... Read more