कहानी पंचकेदार की
उत्तराखण्ड को देवभूमि भी कहा जाता है. यहाँ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बने मंदिर देश-विदेश के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं. इन्हीं मंदिरों में शामिल हैं पञ्च केदार. जैसा की नाम से ही... Read more
कुमाऊं की एक लोककथा- प्यार करने वाली लड़की
एक गांव में एक मां और बेटा रहते थे. मां बेचारी अपने लड़के की बेवकूफियों से बड़ी परेशान थी. एक दिन बेटे ने अपनी मां से कहा- मां मैं किसी लड़की से कैसे प्यार करूं. मां बेचारी पहले तो हंसी और क... Read more
राज्य सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर उत्तराखंड महिलाओं का एकाधिकार समाप्त
उत्तराखंड राज्य की सेवाओं में महिलाओं को मिलने वाले 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का अधिकार समाप्त हो चुका है. उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा जारी एक फैसले के बाद अब तक केवल उत्तराखंड की महिलाओं क... Read more
पहाड़ में भू-कानून के पेंच
उत्तराखंड में भू-कानून की विसंगतियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन “भू सम्पदा विनियमन एवं विकास नियमावली” से संबंधित है. भूमि के जटिल मामलों को सुलझाने के लिए समिति... Read more
14 जनवरी, 1921 का वो ऐतिहासिक दिन था जब बागेश्वर में उत्तरायणी पर्व के अवसर पर कुली बेगार को खत्म करने की शुरुआत हुई. सरयू और गोमती के संगम पर इस आन्दोलन का उदघोष हुआ. तब तत्कालीन जिलाधिकारी... Read more
कुमाऊं के नीचे इलाकों में एक किसान के घर में गधा रहता था. किसान गधे से खूब काम लिया करता गधे की हिम्मत जवाब देने को होती पर उसका भी पेट था लगा रहता. एक दिन गधा जब तालाब में पानी पी रहा था तो... Read more
भर्ती घोटाले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा फैसला लेते हुये जिन परीक्षाओं में गड़बड़ी के साक्ष्य मिले हैं उन्हें निरस्त कर नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरु की जाएगी. मुख्य... Read more
महाकवि भास द्वारा रचित नाटक स्वप्नवासवदत्ता का पिथौरागढ़ महाविद्यालय में मंचन
भाव राग ताल नाट्य अकादमी के द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से मंगलवार शाम 6 बजे महाकवि भास द्वारा रचित नाटक स्वप्नवासवदत्ता का सफल मंचन पिथौरागढ़ महाविद्यालय के हॉल में किया गया... Read more
आज पिथौरागढ़ में लखिया भूत देखने उमड़ते हैं लोग
सातों-आठों पिथौरागढ़ जिले का एक महत्वपूर्ण लोकपर्व है. लोक में गौरी को दीदी और महेश्वर को भिन माना जाता है. गौरा के मायके आने से शुरु हुआ यह पर्व महेश्वर और गौरा की विदाई के साथ संपन्न होता... Read more
घुघूती पक्षी की आवाज को लेकर कही जाने वाली लोककथा
घुघूती और पहाड़ का खूब घना संबंध है. पहाड़ के गीतों और कहानियों में घुघूती का जिक्र खूब मिलता है. घुघूती से जुड़ी एक लोककथा में कहा जाता है कि उसकी आवाज में तिल-पुर-छन-पुर-पुर के स्वर आते है... Read more