उत्तराखण्ड में मृतात्माओं से जुड़े लोकविश्वास
उत्तराखण्ड अद्वितीय प्राकृतिक सुन्दरता और अनूठी लोकसंस्कृति से समृद्ध है. यहाँ के समाज में प्रचलित ढेरों किस्से-कहानियाँ मन को आनन्दित तो करते ही हैं, ये अलिखित इतिहास भी हैं. रोमांच से भर द... Read more
जैनेन्द्र कुमार की कहानी ‘पत्नी’
शहर के एक ओर तिरस्कृत मकान. दूसरा तल्ला, वहां चौके में एक स्त्री अंगीठी सामने लिए बैठी है. अंगीठी की आग राख हुई जा रही है. वह जाने क्या सोच रही है. उसकी अवस्था बीस-बाईस के लगभग होगी. देह से... Read more
कसार देवी: इतिहास, रहस्य और अफ़वाहें
ज़रा सोचिए, गुरुदत्त और पंडित रविशंकर टहलने निकले हों और उन्हें सामने से आते सुमित्रानंदन पंत नजर आ जाएँ जो शाम की रिहर्सल के लिए गीत लिखकर लाए है. खुले मंच पर ज़ोहरा सहगल और उनकी फ्रेंच डां... Read more
विरासत में मिलने वाली लोक कला ‘ऐपण’
उत्तराखंडी लोक कला के विविध आयाम हैं. यहाँ की लोक कला को ऐपण कहा जाता है. यह अल्पना का ही प्रतिरूप है. संपूर्ण भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोक कला को अलग-अलग नामों जैसे बंगाल में अल्पना, उ... Read more
नुक्कड़ नाटकों पर नटरंग
पिछले चार दशकों से कुछ अलग तरीके से सन्देश देते, जाग्रत से कुछ मुद्दे उठाए आम लोगों से सीधे जुड़ते, संवाद करते सामने आते रहे नुक्कड़ नाटक. चारों और घिर आयी भीड़ से घिर गलियों-चौराहों, फैक्ट्... Read more
शैलेश मटियानी की कहानी ‘हारा हुआ’
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree आस-पास जुड़ आए औरत-मर्दों की उपस्थिति में ही गंडामल ने अपनी चारखानी लुंगी उतारकर परे फेंक दी और एकदम गहरे लाल रंग के लँगोट... Read more
‘‘…. मेरा जीवन संघर्षमय रहा. ऐसा नहीं है कि जीवन-यात्रा की शुरुआत के लिए मुझे किसी चीज की कमी रही हो. लेकिन मार्गदर्शन और संपर्क साधनों की हमेशा कमी रही. इसलिए मुझे स्वयं भटकते हुए इस... Read more
मसूरी में आलू
दून घाटी से उत्तर दिशा में दूर मसूरी की पहाड़ियों को देख कर भले ही दुनिया को वहां से दिखने वाली मशहूर विंटरलाइन याद आ जाती हो मगर मुझे हमेशा युवा ब्रिटिश कैप्टन यंग के आलू ही याद आते हैं. कह... Read more
आज शैलेश मटियानी का जन्मदिन है
आज शैलेश मटियानी का जन्मदिन है. यह लेख 1996 में शैलेश मटियानी से हुई बातचीत का एक हिस्सा है जिसमें वह एक बड़ा उपन्यास को लिखने के विषय में बता रहे हैं. उपन्यास का शीर्षक उन्होंने तय कर लिया ह... Read more
एक महान कला साधक की रंगयात्रा का महत्वपूर्ण दस्तावेज है ‘स्मृतियों में मोहन उप्रेती’
पहाड़ी लोक गीतों को अपनी सुरीली धुनों से संवारने वाले मोहन उप्रेती के अनेक गीत और नाट्य प्रस्तुतियां आज भी जन मानस के मध्य जीवन्त बनी हुई हैं. यह मोहन उप्रेती की अलौकिक धुन का ही कमाल था कि... Read more