कुट्टनीमतम् में कहा गया है कि जो लोग भ्रमण न कर के जन-जन के वेश, शील और वार्तालाप का ज्ञान नहीं प्राप्त करते वे बैल के समान हैं (श्लोक 212). सुभाषित भांडागार में यात्रा का महत्त्व बताते हुए... Read more
नेशनल रिकार्ड बनाने वाली पहाड़ की बेटी की तस्वीरें
असम में चल रही 37वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान बीते रविवार उत्तराखंड की मानसी नेगी ने महिला वर्ग की दस हजार मीटर वाक रेस में स्वर्ण पदक जीता. मानसी नेगी का स्वर्ण पदक इस वजह... Read more
आज से लगेगा जौलजीबी का मेला
अब तो यह बीते बरसों की बात रही पर कभी जौलजीबी का मेला इलाके का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला हुआ करता था. तीन देशों तिब्बत, नेपाल और भारत की साझी संस्कृति सजती काली और गोरी के संगम पर. जौलजीबी के... Read more
उत्तराखंड के सीमांत गाँव नीति-मलारी
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सीमांत गाँव नीति खुद में पर्यटन की अपार संभावनाओं को समेटे हुए है. जोशीमठ से लगभग 85 किलोमीटर दूर स्थित नीति गाँव तक का सफर 3 घंटे में तय किया जा सकता है. स... Read more
कहने को तो माहवारी प्रकृति की देन है, परन्तु लोगो ने इसे परंपरा से ऐसा बांधा है कि यह गांठ खुलने का नाम ही नही ले रही है. इसके नाम पर महिलाओं और किशोरियों के साथ शोषण का सिलसिला सदियों से अन... Read more
हल्द्वानी के फ़रीद अहमद ने किया ‘शैलेश मटियानी’ की कहानियों का उर्दू अनुवाद उत्तराखण्ड के बाड़े छीना (अल्मोड़ा) में जन्मे, हिंदी साहित्य के महान लेखक व साहित्यकार ‘शैलेश मटियानी’ की कहानियों... Read more
वीर भड़ माधो सिंह भंडारी की कहानी
एक सिंह रैंदो बण, एक सिंग गाय काएक सिंह ‘माधोसिंह’ और सिंह काहे का (Madho Singh Bhandari) जिन रणबांकुरे श्री माधोसिंह भण्डारी के लिये आज भी सारे गढ़वाल में उपरोक्त उक्ति प्रचलित... Read more
कुमाऊं में दीवाली का आखिरी दिन होता है आज
आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन है. उत्तराखंड के गावों में कार्तिक महीने की एकादशी बड़ी पावन मानी जाती है. पहाड़ों में आज का दिन पुरानी दीवाली, इगास, तुलसी एकादशी या बल्दिया एकादशी जै... Read more
इगास बग्वाल के दिन भैला खेलने का विशिष्ट रिवाज है
इगास बग्वाल के दिन भैला खेलने का विशिष्ठ रिवाज है. यह चीड़ की लीसायुक्त लकड़ी से बनाया जाता है. यह लकड़ी बहुत ज्वलनशील होती है. इसे दली या छिल्ला कहा जाता है. जहां चीड़ के जंगल न हों वहां लो... Read more
जोहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
वर्तमान का अतीत में समाहित होकर भविष्य में उजागर होना ही इतिहास है. यह आलेख, शिलालेख, गुहा चित्र, ताम्र पत्र, धातु या मृदा भांड, मूर्ति अथवा जीवाश्म के रूप में प्राप्त वस्तुओं के सूक्ष्म अध्... Read more