पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच का इतिहास
हल्द्वानी शहर में विभिन्न सांस्कृतिक टोलियों के साथ बागेश्वर, सालम, जागेश्वर आदि स्थानों से पारम्परिक वाद्ययन्त्रों के साथ कलाकारों को आमंत्रित किया गया. एक बात यहां ध्यान देने की यह भी है क... Read more
हल्द्वानी में नाट्य प्रस्तुतियों ने बाँधा समां
सर्द मौसम में ‘इंस्पिरेशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल,’ काठगोदाम के हॉल के माहौल में तपिश का अहसास था. इस गर्मी की वजह थी वे नाट्य प्रस्तुतियां जिन्हें नन्हे और युवा कलाकार अंजाम दे रहे थे. कलाकार... Read more
जानलेवा जोख़िम की ज़द में जोशीमठ
सरकारी ऐलान है कि जोशीमठ (उत्तराखंड) को अब ज्योतिर्मठ कहा जायेगा. आपका हुक्म सर आंखों पर, सरकार. आप वह सब बखूबी करते हैं जो आप कर सकते हो और करना चाहते हो. इसमें कोई कसर नहीं छोड़ते. पर वह स... Read more
नेपाल में मुस्तँग : सीमित बसासत असीम जैव-विविधता
उत्तरी नेपाल के सुदूरवर्ती गँड़की प्रान्त में उत्तर की ओर फैले हिमालय में जहां आठ हजार मीटर ऊँचे अन्नपूर्णा व धौलागिरी के शिखर हैं तो दूसरी ओर रूखे वनस्पति विहीन होते जाते तिब्बती पठार जिनके... Read more
कुमाऊनी कहानी : जाग
पिरमूका दस्तनि स्वेर हाली. चारै दिन में पट्टै रै गयी. भ्यार भितेर जाण में घुनन में हाथ धरनयी. दास बिगाड़नि में के देर न लागनि. पोरू नानतिनन मांसाक बेड़ी र्वाट बणाई भा. पिरमूकाक मासाक बेडी र्... Read more
लोक कथा : सौतेली माँ
एक दिन एक ब्राह्मण ने अपनी पत्नी को अपने बिना खाना खाने से मना किया ताकि कहीं ऐसा न हो कि वह बकरी बन जाये. इसके जवाब में उसकी पत्नी ने भी उससे यही कहा कि वह भी उसके बिना खाना नहीं खायेगा ताक... Read more
इतिहास का विषय बन चुकी हैं उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों की पारम्परिक पोशाकें
विश्व के अन्य भागों की भाँति ही उत्तराखण्ड की संस्कृति भी अपने आप में समृद्ध रही है, परन्तु आधुनिकता की चकाचौंध में दिन-प्रतिदिन इसकी चमक धूमिल होती जा रही है. शिक्षा और जागरुकता का प्रभाव य... Read more
पहाड़ियों की अंग्रेजी टैट है
दिन भर की थकी हारी आमा जैसे ही सूरज डूबने के बाद घर में घुसी तो देखा किशन अंदर चारपाई पर पसरा हुआ है. आमा किशन पर झल्लाते हुए बोली: “किशन्या! कि डी-टोप दिरा त्वेलि ये बे टैम में?” (किशन! क्य... Read more
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree पहाड़ी अपने सरल व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. उनका सरल व्यहार उनकी जीवन-शैली में भी खूब झलकता है फिर चाहे उनका खानपान हो या... Read more
आखिर पवित्र नदियों के संगम की ऐसी दुर्गति क्यों?
मैं जौलजीबी के झूला पुल से गुजरते हुए नेपाल की सीमा से जुड़े हुए गांव की ओर बढ़ रही हूं, तो दो दोनों तरफ की सांझी संस्कृति को बेहद करीब से देख रही हूं. नदी के एक तरफ नेपाली गीत, नृत्य एवम् स... Read more