संवरेगी कुमाऊं की सबसे बड़ी बाखली
अल्मोड़ा से हल्द्वानी की ओर निकलने पर एक जगह पड़ती है क्वारब. क्वारब में सुयाल नदी पर बना पुल नैनीताल और अल्मोड़ा जिले की सीमा अलग-अलग करता है. क्वारब से एक रास्ता सुयालबाड़ी, खैरना होता हुआ... Read more
पिछली कड़ी यहां पढ़ें- छिपलाकोट अंतर्यात्रा : कभी धूप खिले कभी छाँव मिले- लम्बी सी डगर न खले मनीराम पुनेठा जी की दुकान में शाम के समय अखबार बटोरने गया तो पूरे दस दिन के अखबार कायदे से बंडल में... Read more
उत्तराखंड की मानसखंड पर आधारित झांकी को गणतंत्र दिवस परेड की झांकियों में पहला स्थान मिला है. इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में उत्तराखण्ड की झांकी ने... Read more
राष्ट्रपति के सामने होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह की औपचारिक शुरुआत हो चुकी थी. रायसीना हिल्स की इस शाम में ठंड खूब थी और आसमान में लगे घने काले बादल अब बारिश की बूंदें बरसाने लगे थे. तभी... Read more
यूं ही कोई पहाड़ी अपना घर नहीं छोड़ता
एक पहाड़ी अपना गांव अपनों के बेहतर भविष्य के लिए छोड़ता है. समतल और सरल दिखने वाले मैदानों में पहाड़ी हाड़-तोड़ मेहनत करता है और जब उसे पक्का यकीन हो जाता है कि मैदान में उसके अपनों का भविष्... Read more
उत्तराखण्ड का वह गाँव जहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त एक दिन में दो बार होता है
क्या आपको पता है? उत्तराखंड के किस स्थान पर एक ही दिन में दो बार सूर्योदय और दो बार सूर्यास्त होता है? चलिए हम ही बताते हैं, वह स्थान है मालिपा यानि मालपा गाँव, हाँ! हाँ! वही मालपा गाँव जो 1... Read more
पहाड़ी ऐसे मनाते हैं बंसत पंचमी
उत्तराखंड में बंसत पंचमी का दिन सबसे पवित्र दिनों में एक माना गया है. सिर पंचमी के नाम से जाना जाने वाला यह पहाड़ियों का एक पवित्र पर्व है. इस दिन पहाड़ी अपनी स्थानीय नदियों में जाकर स्नान क... Read more
गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगा छोलिया नृत्य
इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में उत्तराखण्ड की झांकी ख़ास होगी. उत्तराखंड राज्य की झांकी का नाम है मानसखण्ड. झांकी के आगे और बीच के भाग में कार्बेट न... Read more
दो गज जमीन
दो बहने थी. बड़ी का कस्बे में एक सौदागर से विवाह हुआ था. छोटी देहात में किसान के घर ब्याह थी. बड़ी का अपनी छोटी बहन के यहां आना हुआ. काम निबटकार दोनों जनी बैठीं तो बातों का सूत चल पड़ा. बड़ी... Read more
क्या सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु देहरादून में हुई
कई सारे लोग आज भी यह मानते हैं कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु 1945 की विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. भारत के आजाद होने के बाद कई दशकों तक सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु पर बात होती रही. भ... Read more