कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 1
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
डॉक्टर मोहन अगाशे एक कुशल अभिनेता हैं और साथ ही साथ मनोचिकित्सक भी. पूना में रहते हैं. 71 साल की उम्र है. फिल्मों के अलावा नाटकों में आज भी जमकर सक्रिय रहते हैं. पूना के प्रभात रोड पर एक रेस... Read more
लोक कथा : ब्यौला मर जायेगा पर गांठा नहीं टूटेगा
छोटी दादी रंगत में थी बोली आओ रै छोरों आज तुम्हे ऐसे बामण की कथा लगाउंगी जो न्यूत के बुलाया गया अर बिचारा पीट के पठाया गया. लो जी दादा जी कहते हैं बिन मांगे मोती मिले अर मांगे मिले न भीक. हम... Read more
“साब सीएम तो तिवारीजी ही थे”
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, आंध्रप्रदेश के पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री नारायण दत्त तिवारी नहीं रहे. उन्होंने लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में दिल्ली के एक... Read more
गुर्जी अगर सँभलोगे नहीं तो ऐसे गिर पड़ोगे – हलवाहे राम और लेक्चरार साब की नशीली दास्तान
दोनों में अटूट दोस्ती थी. कुछ ऐसी कि, लंबे समय तक इस दोस्ती ने खूब सुर्खियाँ बटोरी. दोनों के घर आस-पास ही थे. एकदम निकट पड़ोसी समझ लीजिए. उनमें से एक, पूरे गाँव-जवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिख... Read more
आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था
21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द सरकार का गठन किया था. इस सरकार की स्थापना सिंगापुर में की गयी थी. 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान देश को अंग्रेजों की गुलामी से... Read more
हिंदी में लुगदी, पेशेवर और श्रेष्ठ साहित्य का विभाजन थोड़ा-सा चर्चित हो जाने के बाद हिंदी का लेखक बहुत तेजी-से अपने खोल में घुस जाता है. उसकी दुनिया बन जाती है: वो खुद, उसके हमप्याला दोस्त... Read more
अल्मोड़े के हुक्का क्लब की रामलीला – फोटो निबन्ध
हुक्का क्लब 1930 से प्रतिवर्ष अल्मोड़ा में रामलीला का आयोजन करता आ रहा है. इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला के 2018 के आयोजन की फोटो जयमित्र सिंह बिष्ट द्वारा. जयमित्र सिंह बिष्ट अल्मो... Read more
पहाड़ों का राष्ट्रीय खेल दहल पकड़
दशहरा त्यौहार के दौरान नगर-नगर ग्राम-ग्राम में दबा कर द्यूतक्रीड़ा होती है. इस क्रीड़ा का पहाड़ों में विशेष महात्म्य माना गया है और दहलपकड़ का नाम इसके प्रतिनिधि प्रारूप के रूप में सैकड़ों वर्षों... Read more
अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 3
पिछली कड़ी गुडी गुडी डेज़ -अमित श्रीवास्तव उन दिनों कोई ख़बर बम की तरह नहीं फूटती थी. सिलिर-सिलिर जलती रहती. बीच-बीच में कोई सूखा समय देख कर झर्रर से लपक उठती फिर धीरे-धीरे राख़ सी बैठ जाती. पून... Read more