पहाड़ों में अब मौसमी गीत ही गीत हैं. बसंत बरसात और प्यारा जाड़ा तो है. जाड़ा अब उतना गुलाबी नहीं जैसे हुआ करता था. बरसात में यदा – कदा रिमझिम बरखा होती तो है ज्यादा तो फट के ही बरसती है.... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 13
एक वह दोस्त उन्हीं दिनों एक दिन मेरा वह एक दोस्त आ गया. बोला, इलाहाबाद जा रहा था लेकिन देवेन तुम्हारी याद आई तो पहले दिल्ली चला आया. चलो यार खूब बातें करेंगे, साहित्य की, कला की. मैंने पूसा... Read more
पिछौड़ा उत्तराखण्ड का एक पारम्परिक परिधान
पिछौड़ा उत्तराखण्ड में सभी मांगलिक कार्यक्रमों में विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक परिधान है. पुराने समय में पिछौड़ा शादी के समय केवल दुल्हन द्वारा ही पहना जाता था. जिसे लड़के... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 30
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
हल्द्वानी से रामनगर (जिला-नैनीताल) के रास्ते पर बैलपड़ाव से पहले एक छोटा सा गाँव है चूनाखान. यहाँ से एक सुन्दर सी पगडण्डी घने जंगल की सैर करते हुए बाराती रौ झरने की तरफ जाती है. चूनाखान से बा... Read more
बारह मास विलास
साधो हम बासी उस देस के – 2 -ब्रजभूषण पाण्डेय मेला गाँव का पहले से लेकर तीसरे तक सबसे प्रमुख त्योहार था. होली दशहरा चौथे पाँचवे पर आते. त्योहार के साथ साथ सिंगार पटार उखल मूसल और पटरे वाली चौ... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 29
पिथौरागढ़ में रहने वाले बसंत कुमार भट्ट सत्तर और अस्सी के दशक में राष्ट्रीय समाचारपत्रों में ऋतुराज के उपनाम से लगातार रचनाएं करते थे. वे नैनीताल के प्रतिष्ठित विद्यालय बिड़ला विद्या मंदिर में... Read more
पार्वती-महादेव और निठल्ले इंसानों की कथा
दादी तू ये बता कि शिवजी भगबान ओ दूर बरफ़ वाले पहाड़ में क्यों रहते हैं.उनके पास हमारे जैसा घर क्यों नहीं है. तू तो कहती है भगवान सब कुछ कर देता है. सबको शिवजी ही देते हैं. अपने लिए तो उसने एक... Read more
घोर कलजुग इसी को कहते हैं
उन दिनों समाज में नैतिकता का जोरदार आग्रह रहता था. हर किसी पर घनघोर नैतिकता छाई रहती थी. लड़के, अपने परिवार के सदस्यों से तो डरते ही थे, मोहल्ले वालों से उनसे भी ज्यादा डरते थे. अपनों ने देख... Read more
मानकीकरण से हिंदी की टांग मत तोड़ो भाषा, मानकीकरण और व्याकरण का रिश्ता बहुत पुराना है हालाँकि बाहर से देखने पर यह जितना सहज दिखाई देता है, व्यवहार में उतना है नहीं. देखा यह गया है कि कुछ देर... Read more