बहुत जरूरी है प्लास्टिक के विकल्प की खोज करना
मैं कुछ दिन पहले पूर्णागिरी मंदिर गयी थी तो मैंने देखा कि घुरड़ और बंदर मंदिर से फेंके गये कूड़े को खाने के लिये आ रहे हैं. इस कूड़े में भी प्लास्टिक का कचरा (Plastic Pollution) ही अधिक था. इस... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 126
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
वह डायरी, ट्राजिस्टर और स्टोव
कतिपय कारणों से हमारे प्रिय लेखक देवेन मेवाड़ी की सीरीज कहो देबी, कथा कहो इस सप्ताह प्रकाशित नहीं की जा सकी है. सीरीज का अगला हिस्सा अगले सप्ताह नियत दिन प्रकाशित किया जायेगा. इस सप्ताह देवेन... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 125
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 22 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.) मेरी कक्षा में सेना के अफसरों के कई बच्चे पढ़ते थे. उन बच्चों के साथ... Read more
क्रिकेट का असली डॉन
आज क्रिकेट के सर्वकालीन महानतम बल्लेबाज माने जाने वाले डॉन ब्रैडमैन की पुण्यतिथि है. साल 2001 में आज ही के दिन उनका देहांत हुआ था. कहा जाता है कि जिसने मीर तक़ी मीर का नाम नहीं सुना, उसे उर्द... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 124
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
आज पिथौरागढ़ जिले को बने 60 साल हो चुके हैं. छोटे-छोटे गाँवों से मिलकर 1960 में इस जिले को बनाया गया था. इससे पहले यह अल्मोड़ा तहसील का हिस्सा हुआ करता था. मुख्य शहर के गांव मिलकर एक क़स्बा बना... Read more
हैप्पी बड्डे जिला पिथौरागढ़
आज पिथौरागढ़ जिले का जन्मदिन है. 60 साल पहले आज ही के दिन पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था. 24 फ़रवरी 1960 से पहले तक पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील हुआ करता था. 24 फरवरी 1960 को सीर, सोर,... Read more
ऋषिकेश मुखर्जी की कालजयी फिल्म: किसी से न कहना
ऋषिकेश मुखर्जी, दिलचस्प और जीवंत सिनेमा के फन मे माहिर सिनेकार रहे हैं. उनकी फिल्मों में बेहद हल्के-फुल्के अंदाज में सांस्कृतिक विमर्श तो रहता ही था, साथ ही उसमें एक गहरा संदेश भी निहित होता... Read more