भै भुको, मैं सिती : भिटौली से जुड़ी लोककथा
उत्तराखण्ड में चैत (चैत्र) का महीना लग गया है. कुमाऊं में चैत के महीने में विवाहित बहनों व बेटियों को भिटौली देने की विशिष्ट सांस्कृतिक परम्परा है. चैत के पहले दिन बच्चे फूलदेई का त्यौहार मन... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 25 ठूलीगाड़ में मैं चौथी कक्षा में आया था और सातवीं करने के बाद एक साल के लिए राजस्थान चला गया. जहां देवली नामक जगह से मैंने आठवीं कक्षा पास की. वहां फर्श पर टाट बिछाकर... Read more
1977 में मैं करीब दस साल का था. दो साल पहले जब इमरजेंसी लगी थी, हम लोग अल्मोड़ा में रहते थे. इमरजेंसी की सबसे ठोस स्मृति के तौर पर मुझे याद आता है कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक वकील साहब, जि... Read more
गोविन्द राम काला का परिचय यूं दिया जा सकता है कि वे उत्तराखंड के उन चुने हुए लोगों में से थे जिन्होंने 1911 में ही इन्टरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी. उस ज़माने में इतनी शैक्षिक योग्यता बहुत... Read more
लोकथात व परंपरा का संगम स्थल : थल
मानसरोवर के निचले भागों में सरिता रूप लेने के क्रम में बांसबगड़, बिरथी, मुनस्यारी, नाचनी, हुबुली, बाघी क्विटी, झिनियां व बंजाणी की छोटी गाड़ें व नाले आकर मिलते हैं रामगंगा में. पुगाराऊं के स्य... Read more
किशोर कुमार की सदाबहार फिल्म चलती का नाम गाड़ी
हिंदी सिनेमा में सही मायने में अगर क्लासिक फिल्मों की बात की जाय, तो चलती का नाम गाड़ी (Chalti Ka Naam Gaadi) सभी मानदंडों पर खरी उतरती है. कहा तो यह भी जाता है कि, किशोर कुमार ने इस फिल्म क... Read more
चीर बंधन के साथ होती है खड़ी होली की शुरुआत
कुमाऊनी होली में है ब्रज का प्रभाव कुमाऊँ में अधिकतर त्यौहार मौसम चक्र के बदलने या फिर फसलों को बोने या फिर उन्हें काटने के बाद ही मनाये जाते रहे हैं. इस तरह हमारे त्यौहार हमें जीवन चक्र की... Read more
ललित मोहन रयाल की नई किताब
कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ [ललित मोहन रयाल (Lalit Mohan Rayal) कृत ‘अथश्री प्रयाग कथा’ के बहाने प्रयाग के ‘बहबूद के सामाँ’* की पड़ताल] -अमित श्रीवास्तव तुलसीदास जी कहते हैं हाथी के बराबर बड़े पापो... Read more
विक्की कि विकसवा कि विक्किया
विकसवा बहुत नाराज़ था. नाराज़ होने की बात ही ठहरी. बिचारा कब से इधर-उधर चक्कर काट रहा था. रात बिताने की जगह नहीं थी. सर छुपाने की जगह नहीं थी. उधर से जब चला था तो उसको नाम पता सब दिया गया था.... Read more
एक कुमाऊनी गाँव में आज की फूलदेई – फोटो निबंध
आज थी फूलदेई उत्तराखंड के पहाड़ों में आज फूलदेई मनाई गयी. फूलदेई वसंत के आगमन पर व्यक्त की जाने वाली प्रसन्नता का उत्सव है. यह समय शीत की सिहरन से बाहर निकल कर धूप के स्वागत और फूलों के पल्लव... Read more