1841 में पीटर बैरन द्वारा बसाये गए इस नैनीताल शहर (history of Nainital) में ठीक 146 साल और अपने स्कूल शेरवुड काॅलेज की पढ़ाई छोड़ने के करीब अठारह सालोें के बाद 1987 की शरद् ऋतु में सांसद-अभिने... Read more
मजदूर दिवस : इंजीनियर्स की छुट्टी का दिन
आज मजदूर दिवस है अंग्रेजी में कहें तो लेबर्स डे. भारत समेत विश्व के 80 देशों में आज मजदूरों की छुट्टी होगी. क्योंकि मामला छुट्टी का है सो यह जानना बेहद जरुरी है कि मजदूर होता कौन है? नब्बे त... Read more
तुम्हारी मां के नसीब में कई अच्छे पुरुष भी थे
खांटी मर्दों को तो सभी लड़कियां झेलती हैं, पर तुम्हारी मां के नसीब में कई अच्छे पुरुष भी थे! 4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – पांचवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: बाजार ने हम सबको बिगड़ैल बच्चा बन... Read more
तोर मोनेर कथा एकला बोलो रे
कहो देबी, कथा कहो – 43 पिछली कड़ी – और भी थे इम्तिहां वे निराशा के दिन थे. मन खिन्न रहता था. प्रमोशन के इंटरव्यू में सैलेक्शन क्या नहीं हुआ कि आसपास की फ़िजा ही बदलने लगीं. कल तक के कई स... Read more
सुर्ख गालों पर तपिश लिए भरे बाजार जब मैंने अर्चना वर्मा को जीवन भर के लिए कहा गुडबाय
पहाड़ और मेरा जीवन – 31 अपनी सहपाठी अर्चना वर्मा के बारे में मैंने पहले भी जिक्र किया था और आज तो पूरी कथा ही उस पर लिख रहा हूं. इसके बाद मेरे पास उसके बारे में लिखने को कुछ और न रह जाएगा बश... Read more
ऑल वैदर रोड के बहाने उत्तराखंड की सड़कों की हालत
समय आ गया है कि इस बात पर बहस की जाय उत्तराखंड राज्य में सड़क ने विकास किया है या विनाश. राज्य में जितना अंदर सड़क गयी है उतना पलायन की दर वहां बड़ी है लेकिन जिन जगहों पर सड़क गयी है वहां के लोग... Read more
ट्रांजिस्टर लटकाए हुए रिमोट खोजने की जद्दोजहद. अबोध सवाल. जिज्ञासा भरे सवाल. अजीबोगरीब हरकतें. जवाब देने वालों का उससे पूछना, “पीके आया है क्या?” बारंबार यही सवाल पूछे जाने पर वह... Read more
संजीव भगत कुमाऊँ के उन गिने-चुने लोगों में हैं जिन्होंने मामूली पूंजी से सफल उद्यम खड़ा कर एक मिसाल कायम की है. एक हिमालयी राज्य के युवाओं के लिए संजीव की कंपनी ‘नैनीताल फूड प्रोडक्टस’ उम्मीद... Read more
लोकतंत्र के पहरुवे
गैरीगुरु की पालिटिकल इकानोमी : अथ चुनाव प्रसंग-4 पिछली कड़ी- घोषणा पत्रों में चरम सुख बाजार की उथल-पुथल भरी खबर को खंगालते गली मोहल्ले में बीते महीने से बढ़ गई हलचल को मथते गैरी गुरु का मन लोक... Read more
तूतू – मैंमैं
‘आखिर हुआ क्या?’ ‘होना क्या था? वो हमें बाज़ार में मिले. हमे बहुत जाने-पहचाने से लगे.’ ‘फिर?’ ‘हम भी उन्हें बहुत जाने पहचाने से लगे. वो हमे पहचानने क... Read more