चुस्त-दुरुस्त सर फर. अभी यहाँ से कुछ पौंधे सारे हैं. तो अब तेज हो गई सतझड़ से वो सारे गमले उठाने में जुट जाना है. सबमें जान ठहरी. इतने द्वौ बारिश आंधी कुहरे में तो गल जायेंगे. वो नीम की खाद... Read more
कुटी गांव के राजा लिबिंग की कहानी
लोक परम्परा के अनुसार कुटी गांव का एक राजा था लिबिंग ह्मा. राजा लिबिंग की दो रानियां थी. एक तिब्बत की राजकुमारी और दुसरी भारत की ब्राह्मण कन्या. राजा लिंबिंग वह रानी जो भारत के ब्राह्मण परिव... Read more
एटकिंसन ने क्या लिखा है लोहाघाट के बारे में
काली कुमाऊं परगना और रगडुबान पट्टी में एक गांव और पुरानी फौजी छावनी हैं जो चम्पावत से 6 मील दूर लोह नदी के किनारे है. लोहाघाट छिरापाणी से 10 मील उत्तर में, बेपाल सीमा से 15 मील और अल्मोड़ा स... Read more
पिथौरागढ़ को सोर घाटी क्यों कहते हैं
पिछली कड़ी : पिथौरागढ़ जिले का नामकरण प्रथमतः पिथौरागढ़ के नामकरण को पढ़ने के बाद अब उसकी प्राचीनता की ओर बढ़ते हैं. पिथौरागढ़ को सोर घाटी कहा जाता है यहां यह जान लेना भी उचित होगा कि आखिर ये... Read more
साहिर लुधियानवी का गीत जिसमें मोहब्बत जैसे नाजुक विषय पर खुलेआम शास्त्रार्थ है
हर तरफ हुस्न है, जवानी है,आज की रात क्या सुहानी हैरेशमी जिस्म थरथराते हैं,मर्मरी ख्वाब गुनगुनाते हैंधड़कनों में सुरूर फैला है,रंग नज़दीक-ओ-दूर फैला हैदावत-ए-इश्क दे रही है फज़ा,आज हो जा किसी... Read more
हैप्पी बड्डे दूरदर्शन
आज दूरदर्शन का जन्मदिन है. 15 सितम्बर 1959 के दिन दिल्ली में पहले टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत हुई थी. उस समय इसे ‘टेलीविजन इण्डिया’ नाम दिया गया. इस वक़्त इस परिवार में एक ट्रांसमीटर और 18 टेल... Read more
ठेसबुक में लाठी, कट्टे, तमंचे के प्रवेश की व्यवस्था हेतु मारक जोकर बर्ग के नाम प्रार्थना पत्र
सेवा में, श्रीमान मारक जोकर बर्ग जी मुख्य अभियंता ... Read more
श्राद्ध पक्ष में कौवे को क्यों महत्व दिया जाता – कुमाऊं क्षेत्र की मान्यता
इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है. इसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है.अपने पितरों को याद करने की इस परम्परा का उत्तराखंड में बहुत महत्त्व है और इस अवधि में खान-पान और रहन-सहन में अनेक तरह के नियंत्र... Read more
मैं भी एक जमाने में गांव के प्राइमरी स्कूल में आगे से फर्स्ट आने वाला हुआ, पांच तक तो टॉप ठैरा, कोई रिकौर्ड नहीं तोड़ पाने वाला हुआ. इस वजह से मासाप का, गों के लोगों का, आमा-बाबू का लाड़ला ह... Read more
हमारी नियमित लेखिका गीता गैरोला ने आपको अनेक मनभावन कहानियां सुनाई हैं. हाल ही में हमने उनकी मशहूर किताब ‘मल्यो की डार’ के एक अध्याय को हरिद्वार में रहने वाली स्मिता कर्नाटक की आवाज़ में सुन... Read more