पर्यटन प्रदेश में न कुछ बदला था न बदला है
अपनी चार साल पुरानी एक महत्वपूर्ण पोस्ट को आज फेसबुक पर शेयर करते हुए बागेश्वर के हमारे साथी केशव भट्ट ने लिखा है: ” आज तक भी यही हालत हैं, शर्म आती है हमारी सरकारों पर जो दुनिया में ब... Read more
मुफ्त में लिखा गया उत्तराखण्ड का राज्यगीत
“कहाँ हो बंकिम, कहाँ हो रवीन्द्र! आओ, उत्तराखंड का राज्यगीत लिखो ये वाक्य उत्तराखंड के एक प्रगतिशील समझे जाने वाले पाक्षिक अख़बार में छपी एक न्यूज का शीर्षक है. सामान्यतः इस शीर्षक में छिपे... Read more
मेरे हिस्से के चंडी प्रसाद भट्ट
यह वर्ष 1986 था जब मैं द्वाराहाट जैसे ग्रामीण पृष्ठभूमि से बी.ए पास कर आगे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई का इरादा रखकर, इलाहाबाद गया. लेकिन सत्र के 2 साल विलंब होने के कारण वहां प्र... Read more
शौरसेनी से उपजी है कुमाऊनी भाषा
उत्तराखण्ड राज्य के दो मण्डल – कुमाऊँ तथा गढ़वाल में से कुमाऊं मंडल में कुमाऊनी भाषा बोली जाती है. वर्तमान में कुमाऊं के अंतर्गत नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, ऊधमसिंह नगर, बागेश्वर तथा चम... Read more
साहित्यकार अमित श्रीवास्तव का बहुप्रतीक्षित उपन्यास ‘गहन है यह अंधकारा’ आखिर छपकर आ ही गया. आजादी के बाद से पुलिस-सुधार की बातें जोर-शोर से चलती रहीं. पुलिस- कमीशन की कई रिपोर्ट्... Read more
कुमाऊं गढ़वाल की दुर्लभ उच्च हिमालयी लाल जड़ी
अगर आपने अपना बचपन पहाड़ के किसी गाँव में बिताया है, अगर आपके बचपन तक आर्थिक सुधारों का असर देर से पंहुचा हो. अगर आपका बचपन टीवी और बिजली से अजनबी रहा हो. अगर सड़क आप साल में एक दो बार ही दे... Read more
कुमाऊं की मोहब्बत में गिरफ्तार एक अंग्रेज जोड़ा
किसी ने गलत नहीं कहा है जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं. यह बात आजकल कुमाऊं की सड़कों पर आवारागर्दी करते हुए डेनिस और उनकी पत्नी विवियन पर सटीक बैठती है. ये दोनो... Read more
पिंडारी से पार पहुँचता महानगरों का उत्सर्जन : एक जोखिम भरी यात्रा का लंबा रोमांचक वृत्तान्त
विगत 9 सितंबर को भारतीय पर्वतारोहण से मिस्टर पाणिग्रही का फोन आया, बताने लगे कि आगामी 14 सितंबर से 5 अक्टूबर तक चलने वाले हाई अल्टिट्यूड पिंडारी – मिलम ग्लेशियर क्षेत्र में चलने वाले ख... Read more
जब मुझे दोबारा ॐ के दर्शन हुए
अदभुत नाभीढांग धारचुला की ऊँची पहाड़ियों में बसा एक छोटा सा स्थान जो ॐ पर्वत की वजह से जाना जाना है. नाभीढांग समुन्द्र तल से लगभग 4000 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक खूबसूरत स्थान है. कैलाश मानसरोव... Read more
ईजा (माँ) ये हाईस्कूल की मार्कशीट में लिखी जन्मतिथि तो बाज्यू/काक ज्यू (पापा/चाचा जी) एडमिशन के टाइम ऐसे ही लिखा आए थे लेकिन मेरी असल जन्मतिथि क्या है? ये एक ऐसा सवाल है जो 90 के दशक तक उत्त... Read more