पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा
वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए लीनियस जैसे जीनियस ने पादपों के एक कुल को इन भाइयों के नाम पर बॉहुनिया नाम दिया. यह कुल... Read more
पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश
पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए काफी कुछ करता है लेकिन कभी-कभी इनके काम करने का ढंग समझ ही नहीं आता है. पनचक्की चौराहा पर एक पाकड़ का पेड़ लगा... Read more
‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक
पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली देने की एक अनूठी परम्परा है जो कि सदियों से चली आ रही है और आज भी बदलते समय में नये कलेवर के साथ मौजूद है.(Bh... Read more
उत्तराखण्ड के मतदाताओं की इतनी निराशा के मायने
-हरीश जोशी (नई लोक सभा गठन हेतु गतिमान देशव्यापी सामान्य निर्वाचन के प्रथम चरण में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की सभी पांच लोकसभा सीटों पर गत दिवस संपन्न हुए मतदान में गिरते हुए प्रतिशत पर त्वरि... Read more
नैनीताल के अजब-गजब चुनावी किरदार
आम चुनाव आते ही नैनीताल के दो चुनावजीवी अक्सर याद आ जाया करते हैं. चुनाव चाहे विधानसभा के हों अथवा लोकसभा के अथवा उस क्षेत्र से दूसरे उम्मीदवार कितने ही कद्दावर हों, इसका उनकी सेहत पर कोई अस... Read more
आधुनिक युग की सबसे बड़ी बीमारी
भोगीलाल जी से मिलूँ और कुछ कथनीय-पठनीय न बने, असम्भव है. कभी-कभी तो वो कथनीय-पठनीय अविश्वसनीय भी होता है. हालाँकि इस बार मुलाकात को अविश्वसनीय बनाने में भोगी भाई से अधिक भूमिका शर्मा जी की थ... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिल के चमन को खिलाता है कोई छिपला जाने के लिए बरम वाला रास्ता चुना था. बरम से पद यात्रा शुरू हुई. दिन दोपहरी चलना हुआ. बरम खूब उमस भरा था. खूब पसीना बहा.... Read more
स्याल्दे कौतिक की रंगत : फोटो निबंध
ओ भीना कसी के जानू द्वारहाटा, हिट साई कौतिक जानू द्वारहाटा… उत्तराखण्ड के रहने वाले लोगों ने और ख़ासकर अल्मोड़ा और कुमाऊँ के रहने वालों ने ये गीत ज़रूर सुना होगा. उत्तराखण्ड के सांस्कृ... Read more
कहानी: सूरज के डूबने से पहले
–धर्मपाल सिंह रावत “जरा सांस ले ले. बस थोडा और रह गया है, आ गई तैल्या की धार, वहाँ टावर आ जाता है.” अपनी सत्तर साल की पत्नी को हिम्मत बंधाते हुए बोल पड़े पचहत्तर साल के शं... Read more
कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
कहानियों का नदी की तरह कोई मुहाना नहीं होता ना ही सितारों की तरह उनका कोई आसमान. एक सजग दृष्टि और कानों की एकाग्रता किसी भी विषयवस्तु को कहानियों का चोला पहना देती हैं. (Story by Sunita Bhat... Read more