पारम्परिक दाल-भात बनाने का तरीका
आज मैं आपको पहाड़ के खानपान के बारे में बताता हूं. पहले मैं आपको यह बताता चलूं कि मैं पहाड़ी खानपान का कोई एक्सपर्ट नहीं हूं बस बड़े बुजुर्गों को खाना बनाते देखा या उनकी कही बातें सुनी या कि... Read more
कोट: उत्तराखंड में राजा महाराजाओं के प्राचीन किले
उत्तराखंड के कुमाऊं, गढ़वाल में बहुत से गाँव और ऐसी जगहें हैं जिनके पीछे “कोट” शब्द आता है. जिन गाँव के नाम के पीछे “कोट” शब्द जुड़ा है वे लगभग सभी ऊँचाई पर स्थित हैं. जहाँ से बहुत दूर-दूर त... Read more
उत्तराखंड राज्य का निर्माण के साथ पर्यटन नाम का एक ढोल इसके साथ जुड़ गया. 21 सालों से इस ढोल को पीटा जा रहा है यह तो इस राज्य को नेमत में मिली खूबसूरती है जो पर्यटन का यह ढोल हर खोल में दमदा... Read more
क्या आप में हैं हेल्दी होने के ये 8 लक्षण
कोरोना महामारी के दौर में सबकी जुबान पर एक शब्द खूब चढ़ा- इम्युनिटि. लगभग एक फैशन की तरह सबने कहा कि कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर तरीका है कि हम अपनी इम्युनिटि बढ़ाएं. इम्युनिटि यानी प्रतिर... Read more
चटोरी न्यूज़ पर आज का विषय है- चटोराबाद में चाट की गिरती गुणवत्ता, जिम्मेदार कौन?
चटोरी न्यूज़ पर आज सभी पार्टियों की महिला नेता उपस्थित थीं. बहस राजनैतिक थी और सार्वजनिक भी. न्यूज़ चैनल की बहस थी, इसलिये सभी महिलाएँ अपने कैनाइन दांत और नाखून तेज करके आईं थी.(Satire by Pr... Read more
बोर्निओ के नरमुंड शिकारी
वह प्रकृति के बीच रहते हैं. जल और जंगल की ये जमीन ही उनकी पालनहार है. इसके हर पत्ते, हर शाख, पहाड़ी गुफा के हर आसरे, दरारों से रिसते पानी, कल कल बहते धारे, तीव्र गतिमान भंवर में गोल गोल घूमत... Read more
‘बिद्दू अंकल’ शैलेश मटियानी की प्रतिनिधि कहानी
लोग हमें गाँव में भी ‘बिद्दू’ ही पुकारते थे, दिल्ली शहर तो दिल्ली ही हुआ. यहाँ गाँव भनौरा, तहसील पट्टी, जिला-प्रतापगढ़, यू०पी० के न सिर्फ ये कि गरीब, बल्कि करीबन अनाथ गवई लरिका क... Read more
महंगाई की मार पर एक पुराना कुमाऊनी लोकगीत
कुमाऊं और गढ़वाल के क्षेत्र में समसमसामायिक मुद्दों पर गीत कहने और सुनाने की बड़ी पुरानी परम्परा रही है. यहाँ होने वाले मेलों में इस तरह के गीत गाते लोग अक्सर देखने को मिल जाते थे. अब यह परम... Read more
दुनिया का पहला उपन्यास एक ऐसी औरत ने लिखा था जिसका असली नाम तक हम नहीं जानते
आज से हजार साल पहले का जापान उल्लेखनीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण से गुज़र रहा था. आर्थिक सम्पन्नता के उस दौर में, ख़ास तौर पर स्त्रियों के विकसित सौन्दर्यबोध को उनका नैतिक गुण माना जाता था. सुन्... Read more
पहाड़ ने भी खूब संवारा लखनऊ का चेहरा
किसी भी नगर की सबसे पहली पहचान उसकी नागरिक सुविधाओं से बनती है. लखनऊ अब एक बड़ा महानगर है. सन 1947 में यह छोटा-सा नगर था. इसका प्रबंध नगर पालिका करती थी जिसकी आर्थिक हालत बड़ी खस्ता थी. कुछ... Read more