‘सिल्वर वेडिंग’ मनोहर श्याम जोशी की कालजयी कहानी
जब सेक्शन ऑफीसर वाई․डी․ (यशोधर) पन्त ने आखि़री फ़ाइल का लाल फ़ीता बाँध कर निगाह मेज़ से उठायी तब दफ़्तर की पुरानी दीवार घड़ी पाँच बजकर पच्चीस मिनट बजा रही थी. उनकी अपनी कलाई घड़ी में साढ... Read more
आज कुमाऊं टाइगर ‘मदन मोहन उपाध्याय’ का जन्मदिन है
25 अक्टूबर 1910 को को मथुरा दत्त उपाध्याय का जन्म ग्राम बमनपुरी द्वाराहाट जनपद अल्मोड़ा में हुआ. हमारा बचपन पंडित जीवानंद उपाध्याय के सातवें पुत्र मथुरा दत्त उपाध्याय के चातुर्य और अदम... Read more
थोड़ा धीमा दौड़ो, तो थोड़ा लंबा जाओगे
मैं पिछले दस साल से मैराथन दौड़ रहा हूं. मैंने यह शुरुआत जनवरी, 2012 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड मुंबई मैराथन कहलाने वाली फुल मैराथन से की थी. मैराथन दौड़ने की जहां तक बात है, तो ज्यादातर होता यह... Read more
कहानी : बयान इक़बालिया
‘इसे क्या हुआ है इतना गुमसुम क्यों है’ चौकी इंचार्ज साहब ने दस मिनट बाद ही पूछ लिया. (Bayan Iqbaliya) ‘सर जबसे चीला बैराज से लौटा है… दो घण्टे से ऐसे ही बैठा है.... Read more
एटकिंसन ने क्या लिखा है ‘अस्कोट’ के बारे में
अस्कोट में कुल क्षेत्रफल प्रति एकड़ चार आना नौ पाई राजस्व निर्धारित है जबकि कृषि भूमि पर यह दर सात आना नौ पाई है. पटवारी बाड़कोट में रहता है. स्कूल देवल में है. अस्कोट में कास्तकारी सारे कुम... Read more
कोई ज़िंदा है…? इन तीन शब्दों का नाद बहुत देर तक ज़ेहन में होता है… होना चाहिए भी क्योंकि ये तीन शब्द आपके ज़िंदा होने की तस्दीक के लिए ही कहे गए हैं. ओ टी टी के इस रहस्य–र... Read more
उत्तराखंड की लोक-कथा: बीरा बैण
सालों पहले उत्तराखण्ड के जंगल में एक बुढ़िया रहती थी. उस विधवा बुढ़िया के सात बेटे थे और एक सुंदर बेटी. परी जैसी सुंदर बेटी का नाम था बीरा. जैसा कि नियति में बदा था, बुढ़िया की मृत्यु हो गई.... Read more
1913 में भारत की पहली फिल्म बनाते समय तमाम सामाजिक-आर्थिक दिक्कतों से जूझते दादासाहब फाल्के के सामने सबसे बड़ी समस्या महिला पात्रों के लिए अभिनेत्रियां ढूँढने में आई. पहले वे अपनी पत्नी से त... Read more
ठेठ कुमाऊनी खानपान की रंगत
आजकल सोशल मीडिया और यूट्यूब वगैरह में जो कुमाऊनी थाली दिखाई जाती है उसमें दाल, भात, डुबके, आलू के गुटके हैं. आपको बता दूं यह ही कुमाऊनी थाली नहीं है. इसमें दाल, भात, टपकिया, झोली, मूली का सल... Read more
पिछले कुछ दशकों में हिमालयी क्षेत्रों में विकास के नाम पर जबरन शहरीकरण थोपा जा रहा है. शिमला, नैनीताल, दार्जिलिंग, गंगटोक आदि कुछ ऐसे शहरों के नाम हैं जो दिन पर दिन बदसूरत होते जा रहे हैं. इ... Read more