एडमिन से अनुरोध
प्रति,श्रीमान अड़ेमिन महोदयहाय हाय ग्रुपभट्स ऐप विषय: ग्रुप से रिमूव किये जाने बाबत निवेदन पत्र महोदय, विषय में सादर निवेदन है कि प्रार... Read more
कहानी : मोतिया
चीड़ के पेड़ कब के पीछे छूट गये थे और अब तो ठंडी हवा और सर्पीली सड़क भी गुम हो गई. जानवरों के रेवड़ के साथ मोतिया भी घिसटता हुआ आगे बढ़ रहा था. हांकने वाले निर्दयी के डंडे की मार खाता हुआ मो... Read more
प्रेमचंद की कहानी ‘सुहाग की साड़ी’
यह कहना भूल है कि दाम्पत्य-सुख के लिए स्त्री-पुरुष के स्वभाव में मेल होना आवश्यक है. श्रीमती गौरा और श्रीमान् कुँवर रतनसिंह में कोई बात न मिलती थी. गौरा उदार थी, रतनसिंह कौड़ी-कौड़ी को दाँतो... Read more
बने बने काफल किल्मौड़ो छे,बाड़ामुणी कोमल काकड़ो छगोठन मेंगोरू लैण बाखड़ो छ,थातिन में उत्तम उप्राड़ो छ(Guamani Pant) यौ कविता छू गुमानी ज्यूकि. आज मैं आपूं कैं कुमाउनी भाषक सब्बूं है ठुल मानी... Read more
गर्जना और विद्युत की कहानी
बहुत समय पहले गर्जना (बादलों की आवाज़) और विद्युत (आकाशीय बिजली) बाक़ी सभी लोगों के साथ धरती पर ही रहा करते थे लेकिन राजा ने उन्हें लोगों के घरों से बहुत दूर शहर के दूसरे छोर पर रहने को विवश... Read more
पीहू एक बहुत ही सुलझी हुई, समझदार, खूबसूरत और होशियार बच्ची थी और अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान भी. बचपन से ही पीहू पढ़ाई में अव्वल थी. पढ़ाई के साथ साथ माँ का काम में हाथ बंटाना, पापा के... Read more
बारिश: एक नौजवान के ना-मुकम्मल इश्क़ की दास्तान
मूसलाधार बारिश हो रही थी और वो अपने कमरे में बैठा जल-थल देख रहा था. बाहर बहुत बड़ा लॉन था, जिसमें दो दरख़्त थे. उनके सब्ज़ पत्ते बारिश में नहा रहे थे. उसको महसूस हुआ कि वो पानी की इस यूरिश स... Read more
माहवारी के दौरान लड़कियों संग होने वाले अमानवीय व्यवहार पर कपकोट से 11वीं की छात्रा मंजू की रपट
किसी भी देश का डिजिटल रूप से लैस और तकनीकी रूप से विकसित होना 21वीं सदी की खासियत है. आकाश से लेकर पाताल तक की गहराइयों को नाप लेने की क्षमता भारत ने भी विकसित कर ली है. यही कारण है कि भारत... Read more
बधाणगढ़ी से हिमालय के दृश्य
उत्तराखंड में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में अद्वितीय हैं. प्रकृति ने इन जगहों को इतना सुंदर बनाया है कि आप को यहां आकर जो आनन्द और अनुभूति होती है वह शायद कहीं और न हो. ऐसी ही एक जगह है बध... Read more
कृष्णा सोबती की कहानी ‘सिक्का बदल गया’
खद्दर की चादर ओढ़े, हाथ में माला लिए शाहनी जब दरिया के किनारे पहुंची तो पौ फट रही थी. दूर-दूर आसमान के परदे पर लालिमा फैलती जा रही थी. शाहनी ने कपड़े उतारकर एक ओर रक्खे और ‘श्रीराम, श्... Read more