हल चलाना, नौले से फौले में पानी भरकर लाना और घोघे की रोटी मक्खन, नून के साथ खाना
पहाड़ और मेरा जीवन – 42 पिछली कड़ी: एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई हम सबकी जड़ें गांवों में हैं, लेकिन सबने वहां का जीवन नहीं देखा. मैं अपने गांव के बहुत करीब रहा, ल... Read more
एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई
पहाड़ और मेरा जीवन – 41 पिछली कड़ी: आपकी एक छोटी-सी पहल कैसे आपका मुकद्दर संवार सकती है आज कुछ लोग इस बात पर शायद यकीन न करें, पर सच यही है कि मैं कक्षा नौ से लेकर बारहवीं करने तक अपनी मां स... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 40 पिछली कड़ी: भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया जैसा कि अब तक आप लोगों को मालूम चल ही चुका होगा कि बचपन से ही मैं खेलों का ब... Read more
भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया
पहाड़ और मेरा जीवन – 39 (पिछली कड़ी: जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित हुई) जीआईसी पिथौरागढ़ में कक्षा नौ में पढ़ना शुरू हुआ, तो यह बहुत धीरे-धीरे था कि... Read more
जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित हुई
पहाड़ और मेरा जीवन – 38 (पिछली कड़ी: एक शराबी की लाश पर महिलाओं के विलाप ने लिखवाई मुझसे पहली कविता ) आठवीं से नवीं में आने के सफर के दौरान मुझे खुद में दो बदलाव साफ दिखाई दिए- पहला तो मैं छ... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 37 (पिछली कड़ी: पहाड़ और मेरा जीवन – 36 :पहाड़ ने पुकारा तो मैं सहरा से लौट आया) पिथौरागढ़ में डिग्री कॉलेज के बगल में सदगुरु निवास मेरे लिए चार साल तक निवास रहा। हमारे प... Read more
पहाड़ ने पुकारा तो मैं सहरा से लौट आया
पहाड़ और मेरा जीवन – 36 (पिछली कड़ी: मेरा मिट्ठू दिल लेकर उड़ गया, पर दिल ने पुकारा तो लौट भी आया) राजस्थान में मेरे पास सब था, मिट्ठू था, दोस्त थे, खेल थे, आवारगी थी, मां के हाथ का भोजन था,... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 34 (पिछली कड़ी: वो 26 रनों की यादगार पारी और लटक-लटक कर नाटे कद से छरहरा व लंबा बन जाना) राजस्थान में हमारे घर के आसपास तोते बहुत थे. मुझे बचपन से ही जानवरों के बच्चे बहु... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 34 (पिछली कड़ी:वो दिनभर किराए की साइकिल चलाना और बतौर कप्तान वो फुटबॉल मैच में मेरा अविश्वसनीय गोल) आजकल के माता-पिता अपने बच्चों को कलेजे से लगाकर रखते हैं. उन्हें कुछ भ... Read more
वो दिनभर किराए की साइकिल चलाना और बतौर कप्तान वो फुटबॉल मैच में मेरा अविश्वसनीय गोल
पहाड़ और मेरा जीवन – 33 पिथौरागढ़ से राजस्थान जाने के बाद मैं एक साल वहां रहा. इस एक साल में स्कूल की कोई खास मदद के बिना मैंने आठवीं कक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की, बाकायदा पूरे स्कूल में पा... Read more