पहाड़ों का मतलब एक अदद प्लाट और लड़की ही क्यों?
मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से धारा-370 हटाने के बाद सोशल मीडिया में ढेरों चुटकुलों की बाढ़ आ गयी. जिस बात को सबसे ज्यादा कहा जा रहा है वह यह है कि अब गैर कश्मीरी भी कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे... Read more
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रावत का चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान
हाल ही में उत्तराखण्ड के दिग्गज भाजपा नेता ने गरुड़गंगा के पत्थरों (गंगलोड़ों) के औषधीय गुणों की जानकारी देकर सुर्खियाँ बटोरी थीं. उत्तराखंड के नैनीताल लोकसभा सीट से संसद पहुंचे हुए सांसद मह... Read more
गौला नदी: नैनीताल जिले की जीवनरेखा
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल की हल्द्वानी तहसील की सबसे बड़ी नदी है गौला. नैनीताल जिले के खासे भूभाग की सिंचाई और पेयजल के लिए पानी गौला से ही प्राप्त होता है. यह कहना गलत न होगा कि एक बड़े क्ष... Read more
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से कुछ तस्वीरें
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल जिले में है. 1936 में इस पार्क की स्थापना हेली नेशनल पार्क के नाम से बंगाल टाइगर के संरक्षण के उद्देश्य से की गयी थी. बाद में... Read more
बेदिनी बुग्याल: मखमली घास का हिमालयी मैदान
उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में है सबसे बड़ा बुग्याल. बुग्याल ट्री लाइन और साल में ज्यादातर समय बर्फ से ढंके रहने वाले वनस्पतिविहीन हिमालय के बीच के उस क्षेत्र को कहा जाता है जहा... Read more
उत्तराखण्ड में पाई जाने वाली ढेरों वनस्पतियों में से ज्यादातर औषधीय गुणों से युक्त हैं. बीते समय में इनमें से कई का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए या उनसे बचने के लिए भी होता था. गाँव-... Read more
कबूतरी देवी – (1945 से 07 जुलाई 2018) आज कबूतरी देवी जिंदा होती तो? बीमारी की वजह से अस्पताल के चक्कर काट रही होतीं, उनके परिजन मिन्नतें कर रहे होते. संस्कृति विभाग से मिलने वाली मामूल... Read more
लिंगुड़ा: बरसात के मौसम की स्वादिष्ट पहाड़ी सब्जी
अपने बचपन में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान गांव प्रवास में कई चीजों से सहज परिचय हो जाया करता था. उन दिनों उत्तराखण्ड के गांवों तक ताजा हरी सब्जियों की पहुंच न के बराबर ही हुआ करती थी, आज... Read more
हम सब अपने आमा-बुबुओं के अपराधी हैं
ज्यादातर भारतीय घरों में बूढ़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं किया जाता. सम्मान तो छोड़ो उन्हें 2 वक़्त का भोजन तक इंसानी गरिमा के साथ नसीब नहीं होता. बूढों के नाम संपत्ति होने पर उनसे छल-छद्म कर... Read more
जैसे-जैसे आप पहाड़ चढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ढाबों, भोजनालयों, रेस्टोरेंट्स का आकार छोटा होता जाता है. न सिर्फ उनका आकार बल्कि मैन्यू भी पहाड़ चढ़ते हांफ जाता है. दुर्गम क्षेत्रों में तो सब क... Read more