खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर – 4
(पिछले हिस्से: खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर -1, खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर -2,खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर – 3) हाथरस आ पहुंचे. काका हाथरसी का शहर. शहर में पहुंचते ही... Read more
खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर – 3
(पिछले हिस्से: खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर -1, खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर -2) गाड़ी सड़क से उतार कर कच्चे में खड़ी की. लगा कि शायद गरम होने से बन्द हो गई. काफ़ी देर बोनट खोलकर इन्त... Read more
खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर 2
(पिछ्ला हिस्सा: खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर – 1) चौबे जी के ससुराल वाले मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले हैं और पूना में बस गए हैं. परिवार का अपना अच्छा कारोबार है. सीधे-सरल, खात... Read more
खटारा मारुति में पूना से बागेश्वर 1
यह 2007 की बात है. दिन-वार ठीक से याद नहीं. अक्टूबर का महीना था. उन दिनों रामलीला(एं) चल रही थीं. अल्मोड़ा से तीन जने दिल्ली के लिए रवाना हुए – बागेश्वर से केशव, अल्मोड़ा से रज्जन बाबू औ... Read more
उस कमरे में रामलीला का साजो सामान पड़ा रहता था. शाम के वक्त वह कमरा मोहल्ले के लड़कों के अड्डेबाजी के काम आता था. उसका नाम रामलीला क्लब पड़ गया जो कि बाद में घिसकर मात्र क्लब रह गया. लड़के श... Read more
एक थे मोद्दा. बेतरतीब और उलझे हुए दाढ़ी-बाल, पोपला मुँह, फटे-पुराने जूते, जो कई बार अलग-अलग साइज और रंग के भी होते थे. तन पर दो-दो, चार-चार पैंट-कमीजें एक के ऊपर एक, हाथों में ढेर सारी पत्रि... Read more
लिखना बेशक एक कला है. विद्या है. इसमें प्रतिभा के साथ-साथ कड़े अभ्यास की भी ज़रूरत होती है. कई जानकार मानते हैं कि लेखन में नियमित अभ्यास का बड़ा ही महत्व है और यह बड़ा ही मुफ़ीद होता है. और कुछ... Read more
किस्सा गंजनाशक तेल और दो यारों का -शम्भू राणा उन दोनो की दोस्ती काफी पुरानी और गाढ़ी थी. दोनों की आदतें, स्वभाव और पसंद-नापसंद काफी मिलती थीं. कुछ लोग उन्हें पीठ पीछे उनकी हरकतों के चलते रंगा... Read more
भूतचरित -शंभू राणा न जाने क्या बात है कि आज-कल लोग भूतों की बात नहीं करते, उनकी कहानियां नहीं सुनाते. जो कि एक ज़माने में बड़ी ही आम बात हुआ करती थी. कहीं ऐसा तो नहीं कि आज आदमी इतना कमीना हो... Read more
लगातार छह दिनों तक एक हजार किलोमीटर से कुछ ज्यादा का सफर ड्राइवर के बगल में बैठने के बाद एक बात अनजाने ही समझ में आयी कि जब हम गाड़ी में होते हैं तो पैदल चलने वाले लोग निहायत ही बेवकूफ जान प... Read more