छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : तुझको पुकारे मेरा संसार…
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : लम्बी सी डगर न खले प्राचार्य का अर्दली तारा विभाग में आया और बड़ी कॉन्फिडेंसियल मुख मुद्रा में उसने फुसफुसाती आवाज में मुझे बताया कि साहिब ने बुलाया है अभ... Read more
हिमाचल की पहाड़ियों में ज्वाला माई
हिमाचल प्रदेश की सुरम्य पहाड़ियों में कांगड़ा जिले में स्थित है ज्वालामुखी का पवित्र तीर्थ जहां पठानकोट से लगभग तीन घंटे और कांगड़ा से दो घंटे की बस यात्रा कर पहुंचा जाता है. पंजाब से जिला ह... Read more
अतिक्रमण की भूल भुलैया में गूजर
पहाड़ी इलाकों में आबादी के बसाव का अवलम्बन क्षेत्र हैं – जंगल, जहां से स्थानीय ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की जरुरत के लिए घास, लकड़ी व अन्य उत्पाद प्राप्त करते रहे हैं.इसके साथ ही इस वन क्षेत्र म... Read more
छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : लम्बी सी डगर न खले
पिछली कड़ी – छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगी धूप तुम घना साया पिथौरागढ़ के सीमांत से हो रहे इस व्यापार और व्यापारियों में भोटान्तिक समाज के साहस, प्रयत्न और प्रयास की कथाओं से मुझे शुम्प... Read more
छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगी धूप तुम घना साया
पिछली कड़ी – छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : धूप सुनहरी-कहीं घनेरे साये “अब सुनो, ये जोहार के व्यापारी तिब्बत से व्यापार करने सतरह हजार पांच सौ फिट ऊँची घाटी पार करते थे जिसका नाम उंटाधुर... Read more
छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : धूप सुनहरी-कहीं घनेरे साये
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : तू भी मिला आशा के सुर में मन का ये एकतारा हरिनन्दन निवास- यह वह दो मंजिला मकान था जिसमें अब मैं बहिन गंगोत्री के साथ रहने लगा. इसमें दो बड़े कमरों के साथ... Read more
मेघ व हिमालय चित्रावली
पोखरा नेपाल से मुस्तांग जाते बादलों की अठखेलियों में मगन हिमालय की दृश्यावलियाँ : –प्रोफेसर मृगेश पाण्डे जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी... Read more
उत्तराखंड की जागर गाथाएं
पहाड़ में आण-काथ-लोक गाथाओं का अक्षय भंडार हुआ जिनके असंख्य किस्से आमा-बुबू के मुँह से नानतिनों तक पहुँच सुनहरी यादों को रचा-बसा देने वाले हुए. उस पर शारीरिक चेष्टाओं के द्वारा प्रकट भाव के... Read more
अंकिता हत्याकांड पर तथ्य अन्वेषण रपट
अपने सपनों को पूरा कर अपने परिवार का सहारा बनने की चाह में न जाने कितनी किशोरियां ताउम्र बेबसी और बदहाली के जाल में फंसी रह जाती है. ऐसी परिस्थितियां बना दी जातीं हैं जिनमें घिर वह अपनी योग्... Read more
पहाड़ों में लोसर से नव वर्ष
तिब्बती में लो का मतलब है वर्ष या साल और सर से अभिप्राय है नया. बौद्ध पंचांग के अनुसार वर्ष का प्रथम दिवस लोसर कहलाता है.लोसर तिब्बती बौद्ध धर्म का त्यौहार है जो विभिन्न पहाड़ी प्रदेशों में... Read more