मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार मोड़ पार ऊँचे में बना भवन जो नामी गिरामी वैज्ञानिक और प्राचार्य डॉ देवी दत्त पंत का आवास ह... Read more
भू विधान व मूल निवास की लहर
मूल निवास व भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की ऋषिकेश में संपन्न महारैली से उत्तराखंड आंदोलन के समय उपजे जोश की स्मृतियां जीवंत हो गयीं. प्रदेश के मूल निवासियों के हक-हुकूक की बुलंद आवाज प्रतिध... Read more
प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
प्रकृति शब्द में तीन अक्षर हैं जिनमें ‘प्र’ अक्षर पहले से आकर्षित प्राकृष्ट सत्वगुण, ‘कृ’ अक्षर रजोगुण एवं ‘ति’ तमोगुण का प्रतीक है. इन तीनों अक्षरों से म... Read more
ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
ब्रह्माण्ड अनेक रहस्यों से भरा है. इनके बारे में जानने के लिए उत्सुकता लगातार बनी रही है. आदि काल से ही मानव ने आकाश में सूर्य, चंद्र व तारों को देखा. इनकी गतियों का निरीक्षण किया. धीरे-धीर... Read more
शो मस्ट गो ऑन
मुझ जैसा आदमी… जिसके पास करने को कुछ नहीं है… जो बिलकुल अकेला हो और उससे बढ़ कर बूढ़ा हो… वह क्या करे? अकेला बैठा बैठा. क्या याद करे अपनी जिंदगी के बीते पल को? कैदी बन गया हूँ अप... Read more
छिपलाकोट अंतरयात्रा : चल उड़ जा रे पंछी
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अंतरयात्रा : वो भूली दास्तां, लो फिर याद आ गई सुबह हो गई है. मौसम बिलकुल साफ है. सब लोग उठ गये हैँ. कोने में नाक पर उंगलियां हटाते दबाते भगवती बाबू सांस ऊपर नीचे कर प्रा... Read more
पहाड़ में खेती किसानी के साथ पशु पालन होता आया. अनाज, फल फूल और सब्जी के साथ गाय बैल, भैंस बकरी और सीमांत इलाकों में भेड़, याक व अन्य पशु दूध दही, मक्खन, व घी के साथ उपज के लिए समुचित खाद प्... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अंतरयात्रा: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ खम्पादरज्यू में सब साथी पूजा कर रहे हैं. वहां छोटी बड़ी घंटियां रखी हैं. कई पाषाण के ऊपर, पत्थरों के ढेर के ऊपर तो कई बर्फ स... Read more
बजट 2024 : प्राकृतिक खेती की बुनियाद
2024 के बजट में प्राकृतिक खेती की तकनीक को एक करोड़ किसानों तक पहुँचाने की नवीनतम घोषणा है. यह उम्मीद की गई है कि देश की अर्थव्यवस्था में खेती किसानी से गुणक व त्वरक प्रभाव उपजें. यह तभी सम्... Read more
पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया वापसी का दौर था. कुंडल दा, सोबन, दल बहादुर और डमर दा ने पहले से तय कर रखा था कि पहले पटौद कुंड से हो कर जाने वाले रास्... Read more