आज है बाघ दिवस
आइए बाघ को बाघ और चीते को चीता बोलें. यह क्या बात हुई? बाघ को बाघ और चीते को चीता ही बोलते हैं ना?(International Tiger Day 2024) बोलते हैं लेकिन सब नहीं बोलते. एक साथी जिम कॉर्बेट पार्क से ल... Read more
ले कावा दै मैं कें दे भलि-भलि ज्वै
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree आज सत्तर साल बाद यहां दूर बेंगलुरू में अपने बचपन का पुष्योंण याद आ गया. पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही हम पुष्यों... Read more
जीवन संघर्ष का नाम था शैलेश मटियानी
आज 14 अक्टूबर शैलेश मटियानी जी का जन्म दिन है. कभी जब मैं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा इंस्टिट्यूट), नई दिल्ली में शोध कार्य कर रहा था तो वे एक दिन अपना बड़ा-सा टीन का बक्सा लेकर... Read more
मसूरी में आलू
दून घाटी से उत्तर दिशा में दूर मसूरी की पहाड़ियों को देख कर भले ही दुनिया को वहां से दिखने वाली मशहूर विंटरलाइन याद आ जाती हो मगर मुझे हमेशा युवा ब्रिटिश कैप्टन यंग के आलू ही याद आते हैं. कह... Read more
भुट्टे का मैक्सिको की पहाड़ियों से भारत का सफ़र
हरी थी मन भरी थी लेकिन इतनी महंगी थी कि खरीदी नहीं. पचास रूपए का एक भुट्टा. शिमला में था. भूख भी लगी थी. थका-मांदा मालरोड पार करके लिफ्ट से नीचे सड़क पर आया. सामने ही भुट्टे वाला कोयलों पर भ... Read more
बरसों पुराना है पालक और पहाड़ियों का साथ
सोचा, चौलाई के दाम आसमान पर हैं तो चलो कोई और हरी सब्जी खोजते हैं जो हमारी जेब पर भारी न पड़े. देखा, चौलाई का बिरादर हरा-भरा पालक बाजार में आ चुका है. इससे बेहतर भला क्या हो सकता है?(Palak K... Read more
पोषक तत्वों से भरपूर चौलाई की हरी सब्जी
ग्रीष्म ऋतु में हरी सब्जी खाने की ललक के कारण कल सब्जी मंडी से हरा सोना खरीद लाए और उसकी स्वादिष्ट सब्जी बनाई. ग़जब का स्वाद था. अब तक तो हम इसे चुआ, चौलाई या मार्छा ही कहते थे लेकिन कल इसे... Read more
बनन में बागन में बगरो बसंत है! वसंत आ गया है. महाकवि पद्माकर लिख गए हैं- बनने में,बागन में, बगरो बसंत है! हां, आसपास पेड़-पौधों और फुलवारियों में सब जगह लाल, पीले, नीले, गुलाबी और बैंगनी फूल... Read more
प्यारे शहर नैनीताल की याद
और, बाबा हो, गर्मियों के सीजन में शहरों से आने वाली वह भारी भीड़! हम लोग उन दिनों माल रोड छोड़ कर ऊपर स्नो व्यू, चीनापीक, गोल्फ फील्ड या टिफिन टॉप की ओर निकल जाते. स्नो व्यू में सीमेंट की वह... Read more
अपनी बात मैं अपने उन पुरखों से शुरू करना चाहता हूं, जो आदि मानव कहलाते थे, जंगलों और गुफाओं में रहते थे. खेती और पशुपालन की शुरूआत उन्होंने ने ही की थी. उन्हीं में से शायद कभी, हमारे किसी पु... Read more