रायपुर (अब छत्तीसगढ़), में जन्मे देश के महानतम समकालीन नाटककारों में से एक हबीब अहमद ख़ान ‘तनवीर’ उर्फ़ हबीब तनवीर का आज जन्मदिन है. कबाड़खाना ब्लॉग से हबीब तनवीर पर एक लेख पढ़िए :... Read more
भगतसिंह ! इस बार न लेना काया भारतवासी की
30 अगस्त 1923 को जन्मे मशहूर गीतकार शैलेन्द्र का असल नाम शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र था. (Remembering Lyricist Shankar Shailendra) 1947 में भारतीय रेलवे की माटुंगा, मुम्बई वर्कशॉप में एक एप्र... Read more
हल्द्वानी में यादों की बरात और शेट्टी की खोपड़ी
नाहिद में ‘यादों की बारात’ लगी थी. जमाने के टाइम के तकाज़े के हिसाब से हम चार दोस्त जीनातमान के जलवे और धरमेंदर की सनातन हौकलेटपंथी देखने के उद्देश्य से सेकंड क्लास की सबसे आगे क... Read more
कुमाऊनी में गोल रहने की कला और उसका मतलब
छः लोगों ने चाय पी हो और आप उनमें से एक हों तो पेमेंट करते समय आपको हड़बड़ी करने की कतई आवश्यकता नहीं. आप अपनी निगाह अनन्त में टिकाये चुपचाप बैठे रहें. कोई न कोई कर देगा. हस्पताल में भर्ती क... Read more
असल कुमाऊनी भाषा का जायका
मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास ‘कसप’ में नायिका बेबी कई बार अपने प्रेमी नायक डी डी उर्फ़ देबिया टैक्सी को “लाटा” कहकर बुलाती है. लाटा का शाब्दिक अर्थ हुआ गूंगा. लेकिन यहाँ बेबी द्वारा कहा गया “... Read more
हल्द्वानी के टॉमी बाबू और उनका मुक्का
उस दिन इत्तेफ़ाक़न अपने दोस्त आलोक के घर जाना हुआ. कुछ सालों बाद. (Tommy Babu of Sadar Bazar Haldwani) आलोक मेरे सबसे पुराने दोस्तों में है. कॉलेज के ज़माने में उसके घर में मौजमस्ती के कई क़... Read more
भारत की आज़ादी के बाद की शुरुआती दो पीढ़ियों के लिए इब्ने सफ़ी एक नाम से कहीं बढ़ कर हैं. भारतीय उपमहाद्वीप में जासूसी उपन्यास लिखने के मामले में वे सबसे अव्वल हैं. उन्हें भारत और सरहद पार प... Read more
दोगांव की टिक्की न खाई तो क्या खाया
हल्द्वानी-नैनीताल राजमार्ग पर हल्द्वानी से 14 किलोमीटर दूर स्थित दोगांव बहुत लम्बे समय से पहाड़ की तरफ आने-जाने वाली गाड़ियों का एक जरूरी पड़ाव रहा है. और दोगांव का नाम आने पर ऐसा हो ही नहीं... Read more
अलौकिक है मुनस्यारी का थामरी कुण्ड
उत्तराखंड के मुनस्यारी नगर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है थामरी कुण्ड. समुद्र की स्तर से करीब 7500 फीट कीम ऊंचाई पर स्थित इस सुन्दर स्थान पर जाने लिए मुनस्यारी से बिरथी जाने वाली सड... Read more
किसी भी शहर के सांस्कृतिक चरित्र की पहचान इस बात से होती है कि उसमें सलीके की किताबों की कितनी दुकानें हैं. बावजूद इसके कि नैनीताल में ऐसी तीन ठीकठाक दुकानें हैं जिन्हें मैं अपने बचपन से देख... Read more