एक थी ओरियाना फ़ल्लाची
इटली की ओरियाना फ़ल्लाची (२९ जून १९२९-१५ सितम्बर २००६) पत्रकारिता की दुनिया में विश्वविख्यात नाम है. बाद के दिनों में वे अपने महान और निडर राजनैतिक साक्षात्कारों के लिए जानी गईं. उन्होंने जिन... Read more
द नेम इज़ बॉन्ड, रस्किन बॉन्ड
जो भी मसूरी आता है, उनके बारे में पूछता है, कहां रहते हैं, कैसे दिखते हैं और यहां तक कि लोग सीधे उनके घर तक चले आते हैं. 76 साल की उम्र में भी रस्किन बॉन्ड को लेकर एक दीवानगी सी है. उनकी शख्... Read more
हिन्दी पढ़ने – पढ़ाने वालों की एक अलग दुनिया है जो इसी दुनिया में होते हुए भी अलग – सी है – बहुत कुछ एक बंद दुनिया की तरह . यहाँ संकेत हिन्दी रचनाकार और पाठक वर्ग से नहीं अपि... Read more
किस्सा गंजनाशक तेल और दो यारों का -शम्भू राणा उन दोनो की दोस्ती काफी पुरानी और गाढ़ी थी. दोनों की आदतें, स्वभाव और पसंद-नापसंद काफी मिलती थीं. कुछ लोग उन्हें पीठ पीछे उनकी हरकतों के चलते रंगा... Read more
अल्मोड़िया राइटर डेढ़ यार: पहुंचे टेसन अंधेरी-खार
अल्मोड़ा से बम्बई चले डेढ़ यार – दूसरी क़िस्त पिछली क़िस्त में उत्तराखंड से हिंदी साहित्य में कूद पड़े हमारे किस्सागो-पुरखों का जिक्र हुआ ही था कि चारों ओर से शिकायती आवाजें उठने लगी … मालू... Read more
बड़े हिन्दी कवि विष्णु खरे को ब्रेन स्ट्रोक
हिन्दी भाषा के वरिष्ठ कवि और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के जाने-माने सम्पादक-अनुवादक विष्णु खरे को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है. दिल्ली के जी.बी पंत अस्पताल की आईसीयू के वार्ड नंबर 6 के बेड नंबर 16 पर ले... Read more
जिसके हम मामा हैं – शरद जोशी एक सज्जन बनारस पहुँचे स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया ‘मामाजी! मामाजी!’ – लड़के ने लपक कर चरण छूए वे पहचाने नहीं बोले –... Read more
महादेवी वर्मा का उत्तराखण्ड प्रेम
(महादेवी वर्मा : 26 मार्च 1907 — 11 सितम्बर 1987) हमेशा श्वेत वस्त्र धारण करने, आजीवन सख्त तखत पर सोने और जीवन भर आईना नहीं देखने वाली. हिंदी की महान छायावादी साहित्यकार महादेवी वर्मा... Read more
कैरिबियन के भारतीयों का चटनी संगीत
चटनी संगीत का उद्भव दक्षिणी कैरिबियाई इलाक़े में हुआ था – सबसे पहले त्रिनिडाड एन्ड टोबैगो में १९वीं सदी में नौकरों और गुलामों के तौर बसाए गए भारतीय मजदूरों की सन्ततियों ने इसे विकसिन क... Read more
हाथी के बदले गधा खरीदने वाले को नमस्कार
भारतेंदु हरिश्चन्द्र के कालजयी नाटक अन्धेर नगरी की शुरुआत में लिखी गई हैं ये पंक्तियां – छेदश्चंदनचूतचम्पकवने रक्षा करोरद्रुमेः हिंसा हंसमयूरकोकिलकुले काकेषुलीलारतिः। मातंगेन खरक्रयः स... Read more