जब तक ऐक्सीडेण्ट न हो, हमें जागते रहना है
रेल यात्रा -शरद जोशी रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं. ठीक कहते हैं. रेलें हमेशा प्रगति करती हैं. वे बम्बई से प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती हैं औ... Read more
एक युवा कवि को पत्र – 2 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more
प्राचीन संस्कृति को अंतिम बुके पारंपरिक भारतीय कलियों और फूलों की ख़ुशबुएँ पांडवों की तरह स्वर्गारोहण की सदिच्छा से हिमालय की ओर चली गई हैं. क्योंकि जिन फूलों का भारतीयकरण किया गया है उनमें... Read more
उम्मीद पर तो हर पार्टी कायम है
एक भूतपूर्व मंत्री से मुलाकात – शरद जोशी मंत्री थे तब उनके दरवाज़े कार बँधी रहती थी. आजकल क्वार्टर में रहते हैं और दरवाज़े भैंस बँधी रहती है. मैं जब उनके यहाँ पहुँचा वे अपने लड़के को दू... Read more
यह हिस्सा चिली के ख्यात और पूरी दुनिया के अपने कवि पाब्लो नेरुदा की पुस्तक ‘मेमोयर्स’ में है . अधिकांश लोग इससे परिचित हैं, फिर भी एक बार फिर पढ़ लेने लायक है . यह सभी जानते हैं कि पाब्लो भा... Read more
बच्चों के लिए चिठ्ठी -मंगलेश डबराल प्यारे बच्चो हम तुम्हारे काम नहीं आ सके. तुम चाहते थे हमारा क़ीमती समय तुम्हारे खेलों में व्यतीत हो. तुम चाहते थे हम तुम्हें अपने खेलों में शरीक करें. तुम... Read more
अच्छे लेखक को कुछ भी बरबाद नहीं कर सकता है
विलियम फॉक्नर का साक्षात्कार अनुवाद : शिवप्रसाद जोशी पेरिस रिव्यू ने विश्व साहित्यकारों के सबसे दुर्लभ साक्षात्कार किये हैं, जिनकी चर्चा 50 सालों के बाद भी जीवित हैं. इनको पढ़ते हुये... Read more
असल आवाज का जादू नकलची नहीं समझेंगे
असल आवाज का जादू नकलची नहीं समझेंगे -राहुल पाण्डेय कुछ साल पहले अयोध्या में एक शायद कभी न बनने वाली फिल्म के लिए ऑडिशन ले रहा था. कला की गर्मी में उबलते लोगों की कतार लगी थी, पर हम ठंडे होते... Read more
एक युवा कवि को पत्र – 1 – रेनर मारिया रिल्के
“एक युवा कवि को पत्र” महान जर्मन कवि रेनर मारिया रिल्के के लिखे दस ख़तों का संग्रह है. ये ख़त जर्मन सेना में भर्ती होने का विचार कर रहे फ़्रान्ज़ काप्पूस नामक एक युवा को सम्बोधित... Read more
आषाढ़ -लीलाधर जगूड़ी यह आषाढ़ जो तुमने मां के साथ रोपा था हमारे खेतों में घुटनों तक उठ गया है अगले इतवार तक फूल फूलेंगे कार्तिक पकेगा हमारा हँसिया झुकने से पहले हर पौधा तुम्हारी तरह झुका हुआ ह... Read more