लच्छू कोठारी और उसके सात बेवकूफ बेटे
अभी पिछले दशक तक की बात थी जब कुमाऊं के स्कूलों में मास्टर बच्चे की मूर्खतापूर्ण हरकत पर ताना देकर कहता – “तुझसे भली तो लच्छू कोठारी की संतान.” लच्छू कोठारी की संतानों के किस्से पहाड़ क... Read more
बीसवीं सदी में सबसे ज़्यादा पढ़े गए लेखकों में शुमार रोआल्ड डाल ने उपन्यास लिखे, बच्चों के लिए किताबें लिखीं और सबसे महत्वपूर्ण यह कि एक से एक अविस्मरणीय कहानियां लिखीं. नॉर्वेजियन मूल के माता... Read more
चचा ग़ालिब के जन्मदिन पर उनकी हवेली से एक रपट
सुबह जब गली मीर क़ासिम जान पहुंचा तो उनकी हवेली, जिसे अब एक स्मारक में तब्दील कर दिया गया है, के आसपास कुछ ख़ास नज़र नहीं आया. बाहर उनके पोते के साथ अपने बच्चे को मदरसे ले जाने के लिए रिक्शे का... Read more
पहाड़ी फौजी की कथा मारफ़त छप्पन ए. पी. ओ.
फ़ौज की मुश्किल नौकरी से छुट्टियों के लिए पहाड़ के घर लौट रहे एक मामूली सिपाही से अपनी कविता ‘रामसिंह’ में वीरेन डंगवाल इस तरह मुखातिब होते हैं: ठीक है अब ज़रा ऑंखें बन्द करो रामसि... Read more
नैनीताल में थियेटर का इतिहास करीब एक शताब्दी पुराना है और नैनीताल नगर ने लम्बे समय से रंगमंच के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई हुई है. ललित तिवारी, निर्मल पांडे, सुदर्शन जुयाल, सुनीता रजवार... Read more
रसमलाई का ज़ायका
अब से तुम्हारे साथ कहीं आना ही नही है… कहीं नहीं. शिखर होटल चौराहे से एनटीडी की ओर जाती लिंक रोड के एक रेस्तराँ के बाहर ये स्वर थे रौनक के . नीली जीन्स उस पर घुटनों तक लटकता बूटेदार गर... Read more
रॉंग नंबर
रॉंग नंबर -आशीष ठाकुर एक दोपहर थी थकी-थकी, उदास, ठहरी हुई. खिड़कियाँ सूनी थी, आसमान अकेला. घर में सन्नाटा पसरा था. अब तो बेला के क़दमों की आवाज़ भी नहीं आती, पायल पहनना उसने कब का छोड़ दिया. घर... Read more
जादू देखो ताली पीटो, चमत्कार देखो और खुश रहो
भारत को चाहिए जादूगर और साधु – हरिशंकर परसाई हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े. न सोचूँ तो भी काम चलेगा – बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा. सोचना एक रोग... Read more
बयासी के हुए आज ज्ञानरंजन
आज हिन्दी की सबसे महत्वपूर्ण पत्रिका ‘पहल’ के यशस्वी सम्पादक और महान कथाकार ज्ञान जी का जन्मदिन है. आज ज्ञान जी ने बयासी साल पूरे कर लिए. अपने से बहुत छोटी आयु वालों के साथ कैसा... Read more
जवान होते बेटो-अष्टभुजा शुक्ल जवान होते बेटो!इतना झुकनाइतनाकि समतल भी ख़ुद को तुमसे ऊँचा समझेकि चींटी भी तुम्हारे पेट के नीचे से निकल जाएलेकिन झुकने का कटोरा लेकर मत खड़े होना घाटी मेंकि ऊपर... Read more