फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता
रूग्ण पिताजी रात नहीं कटती ? लम्बी यह बेहद लम्बी लगती है ? इसी रात में दस-दस बारी मरना है जीना है इसी रात में खोना-पाना-सोना-सीना है जख्म इसी में फिर-फिर कितने खुलते जाने हैं कभी मिले थे... Read more
फादर्स डे स्पेशल: मंगलेश डबराल की कविता
पिता की तस्वीर मंगलेश डबराल पिता की छोटी छोटी बहुत सी तस्वीरें पूरे घर में बिखरी हैं उनकी आँखों में कोई पारदर्शी चीज साफ चमकती है वह अच्छाई है या साहस तस्वीर में पिता खाँसते नहीं व्याकुल नही... Read more
फादर्स डे स्पेशल: चंद्रकांत देवताले की कविता
दो लड़कियों का पिता होने से -चंद्रकांत देवताले पपीते के पेड़ की तरह मेरी पत्नी मैं पिता हूँ दो चिड़ियाओं का जो चोंच में धान के कनके दबाए पपीते की गोद में बैठी हैं सिर्फ बेटियों का पिता होने... Read more
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण छायावादी आन्दोलन के चार बड़े नामों में से एक थीं. इस समूह में उनके अलावा जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ थे... Read more
जिसके हम मामा हैं – शरद जोशी के बहाने
“बाढ़ और अकाल से मुर्गा बच जाए मगर वह हमसे सुरक्षित नहीं रह सकता” कमिश्नर ने कहा और इस मजा पर सब जोर से हंसने लगे. बाहर बाढ़ और अन्दर लंच चल रहा है. भारतीय दर्शक कुछ समय तक मंच पर... Read more
कौसानी के कवि सुमित्रानंदन पंत -जन्मदिन पर विशेष
20 मई 1900 को जन्मे इस सुकुमार कवि के बचपन का नाम गुसांई दत्त था. स्लेटी छतों वाले पहाड़ी घर, आंगन के सामने आड़ू खुबानी के पेड़, पक्षियों का कलरव, सर्पिल पगडण्डियां, बांज, बुरांश व चीड़ के पेड़ों... Read more
पहाड़ मेरे लिए माँ की गोद जैसा है
मसूरी और देहरादून के नामों के साथ रस्किन बांड (Ruskin Bond Writer Birthday ) का नाम लम्बे समय से जुड़ा रहा है. एक लम्बे अरसे से वे देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखकों में शुमार हैं. मसूरी म... Read more
अम्मा: आलोक श्रीवास्तव की कविता
अम्मा चिंतन दर्शन जीवन सर्जन रूह नज़र पर छाई अम्मा सारे घर का शोर शराबा सूनापन तनहाई अम्मा उसने खुद़ को खोकर मुझमें एक नया आकार लिया है, धरती अंबर आग हवा जल जैसी ही सच्चाई अम्मा सारे रिश्ते-... Read more
मैं आता रहूँगा उजली रातों में तुम्हारे लिए
मैं आता रहूँगा तुम्हारे लिए (Poem by Chandrakant Devtale) – चन्द्रकान्त देवताले मेरे होने के प्रगाढ़ अंधेरे को पता नहीं कैसे जगमगा देती हो तुम अपने देखने भर के करिश्मे से कुछ तो है तुम... Read more
महान कवि, कहानीकार, उपन्यासकार, गायक, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार, प्रकृतिप्रेमी, पर्यावरणविद और मानवतावादी रवीन्द्रनाथ टैगोर पहले एशियाई व्यक्ति थे जिन्हें साहित्य का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्क... Read more