अरे! तुम तो एक हफ्ते में निबटा देने वाले ठैरे ‘वैलन्टाइन डे’ का जश्न, हमारे टैम पर तो सालों भी लग जाने वाले हुए ‘वैलेन्टाइन डे’ के इन्तजार में. किसम-किसम की सेरेमनी और रिचुवल्स होने वाले हु... Read more
बीबीसी की तिलिस्मी आवाज़ वाली रेडियो सेवा का अंत
जरा अतीत की बिसरी गलियों में जाइए और भारत का वह दौर याद करने की कोशिश कीजिए, जब घर-घर में टीवी की स्क्रीन नहीं आए थे. लोग देश-दुनिया की ख़बरें सुनने के लिए रेडियो का सहारा लिया करते थे और बी... Read more
हिट तुमड़ि बाटे-बाट, मैं कि जानूं बुढ़िया काथ : कुमाऊं की एक लोकप्रिय लोककथा
किसी गांव में एक बुढ़िया थी. बूढी और निर्बल बुढ़िया एक अकेले घर में रहती थी. एक साल जाड़ों के दिनों बुढ़िया को लगा कि शायद वह इस साल मर जायेगी. मृत्यु के भय से उसने सोचा कि क्यों न अपनी बेटी के... Read more
कल्पनीय सच का विधान : चंदन पांडेय के उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ के बहाने ‘आज’ से जिरह
सबकुछ सायास है वैधानिक गल्प में. उसके इस तरह से होने पर बहस होनी चाहिए क्योंकि जान बूझकर किसी घटना, व्यक्ति या विचारधारा को उजागर करने के उद्देश्य के लिए बुनी गयी चीज़ में वो मात्रा सबसे निर... Read more
सैंणी के दबाव में किशनी शहर में किरायेदार बन गया
किशनी बचपन से होशियार चालाक बच्चा था, गांव वाले बचु पदान को कहते भगवान किसी को औलाद दे तो किशनी जैसा, किशनी व्यवहार कुशल मिलनसार सबके सुख-दुःख का साथी सारथी रहता क्या नाते-रिश्ते क्या गाँव... Read more
बचपन में गौरेया हमारे जीवन में रची-बसी थी
देहरादून में घर के पीछे दीवार पर जो लकड़ी के घोसले मैंने टाँगे थे उनमें गौरेयों ने रहना स्वीकार कर लिया है. लकड़ी के ये घोसले मैं देहरादून की जेल से लाया था, जो वहाँ पर कैदियों द्वारा तैयार... Read more
पहाड़ के स्कूलों में जाड़ों की छुट्टियां और बचपन
को ऑफिस से ज़रा जल्दी रुखसत होने की खुशी ज़रूर होती मगर बाहर कदम रखा तो देखा कि अच्छी खासी बारिश हो रही थी. बारिश मे रानीखेत की माल रोड किसी नई नवेली दुल्हन सी दिलकश हो जाती है. सड़क के एक त... Read more
उत्तराखण्ड के हस्तशिल्प और साहित्य के शौकीनों के लिए एक अच्छी खबर पिथौरागढ़ से है. लंदन फोर्ट पिथौरागढ़ में भाव राग ताल अकादमी के स्टोर में उन्हें अब राज्य की नायाब दस्तकारी के साथ-साथ साहित... Read more
रामस्वैंणी की तेरहवीं
चार प्रकार का सलाद, तीन प्रकार की चरचरी-बरबरी भुजी, पियर अरहर की दाल, खट्टे आम का अचार, घर्रा भंग्जीर और पुदिने की चटणी, पैल्वाण भैंस की छाँस में तुमड़े का रायता, पापड, पूड़ी, सूजी, हलवा, और... Read more
हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार डॉ. पानू खोलिया का कल 01 जनवरी 2020 को लम्बी बीमारी के बाद हल्द्वानी के मल्ली बमौरी स्थित आवास पर 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. कल ही उनकी अन्त्येष्टी रानीबाग स्... Read more