बाघ का पंजा
इस मनुष्यभक्षी का कार्यकाल समाप्त हो गया था. जिन लोगों ने उसे मृत्यु तक पहुँचाया था, वे हीरो बन चुके थे. उन्हें फूलों की मालाएं पहनाई जा रही थीं और गाँव की सबसे ऊंची बैलगाड़ी पर शान-बान से ब... Read more
किराए का रावण
आज चिमनी और लालटेन ने गैस दादा (पेट्रोमैक्स) को घेर ही लिया. कहानी सुनाने के लिए पीछे पड़ गए. “कितनी कहानियां तो सुना दी है तुमको, अब और कहानियां कहां से लाऊं,” गैस दादा बोल पड़े... Read more
कई बार उन्हें केवल हंसाने वाला कवि मान लिया जाता रहा है पर शेरदा की कविता में गहरा जीवनदर्शन है. मिसाल के तौर पर उनकी एक मशहूर कृति ‘बुड़ी अकावौ प्रेम’ यानी ‘घोर बुढ़ापे की... Read more
कानून के दरवाजे पर : फ़्रेंज़ काफ़्का की कहानी
-अनुवाद : सुकेश साहनी कानून के द्वार पर रखवाला खड़ा है. उस देश का एक आम आदमी उसके पास आकर कानून के समक्ष पेश होने की इजाजत माँगता है. मगर वह उसे भीतर प्रवेश की इजाजत नहीं देता. (Story by Fra... Read more
अमृता प्रीतम की कहानी : जंगली बूटी
अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की बिल्कुल नई बीवी है. एक तो नई इस बात से कि वह अपने पति की दूसरी बीवी है, सो उसका पति ‘दुहाजू’ हुआ. जू का मत... Read more
अंतिम प्यार : रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी
आर्ट स्कूल के प्रोफेसर मनमोहन बाबू घर पर बैठे मित्रों के साथ मनोरंजन कर रहे थे, ठीक उसी समय योगेश बाबू ने कमरे में प्रवेश किया. (Hindi Story Rabindranath Tagore) योगेश बाबू अच्छे चित्रकार थे... Read more
भूत की चुटिया हाथ
लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने के चरागाह पर जाता. लोगों के बच्चों ने सीखा पढ़ना लिखना. गब्दू ने सीखा गाड़ (छोटी नदी) की गडियाल (मछली) म... Read more
स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि
घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए के पेड़. ये बड़े-बड़े पेड. पेड़ के नीचे खड़े होकर एकदम ऊपर देखो तो सूरज न दिखाई दे. चारों तरफ़ धान के खेत, छोटे-बड़े पो... Read more
अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन
हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे. उनका नाम था अब्बू खाँ. उन्हें बकरियाँ पालने का बड़ा शौक था. बस एक दो बकरियाँ रखते, दिन भर उन्हें चराते फिरते और शाम... Read more
नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम
जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम भूल गई हूं. कहानी में सही नाम लिखना नहीं था, और उससे एक बार ही मुलाक़ात हुई थी, इसलिए नाम भी याद से उतर गया है… (... Read more