स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि
घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए के पेड़. ये बड़े-बड़े पेड. पेड़ के नीचे खड़े होकर एकदम ऊपर देखो तो सूरज न दिखाई दे. चारों तरफ़ धान के खेत, छोटे-बड़े पो... Read more
अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन
हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे. उनका नाम था अब्बू खाँ. उन्हें बकरियाँ पालने का बड़ा शौक था. बस एक दो बकरियाँ रखते, दिन भर उन्हें चराते फिरते और शाम... Read more
नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम
जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम भूल गई हूं. कहानी में सही नाम लिखना नहीं था, और उससे एक बार ही मुलाक़ात हुई थी, इसलिए नाम भी याद से उतर गया है… (... Read more
रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता
एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था. उछलता था, फुदकता था, उड़ता था, पर यह नहीं जानता था कि क़ायदा-क़ानून किसे कहते हैं. (Rabindranath Tagores Story Tota) राजा... Read more
कहानी: सूरज के डूबने से पहले
–धर्मपाल सिंह रावत “जरा सांस ले ले. बस थोडा और रह गया है, आ गई तैल्या की धार, वहाँ टावर आ जाता है.” अपनी सत्तर साल की पत्नी को हिम्मत बंधाते हुए बोल पड़े पचहत्तर साल के शं... Read more
कहानी: माँ पेड़ से ज़्यादा मज़बूत होती है
कहानियों का नदी की तरह कोई मुहाना नहीं होता ना ही सितारों की तरह उनका कोई आसमान. एक सजग दृष्टि और कानों की एकाग्रता किसी भी विषयवस्तु को कहानियों का चोला पहना देती हैं. (Story by Sunita Bhat... Read more
कहानी: कलकत्ते में एक रात
-आचार्य चतुरसेन शास्त्री कलकत्ता जाने का मेरा पहला ही मौका था. मैं संध्या-समय वहां पहुंचा, और हरीसन रोड पर एक होटल में ठहर गया. होटल में जो कमरा मेरे लिए ठीक किया गया, उसमें सब सामान ठिकाने... Read more
आज जब एक साल बाद नैनीताल आई, तो लगा जो भी यहाँ से लेकर गई हूँ, सारी अच्छी-बुरी यादें, खट्टे-मीठे पल और सब अहसासों का एक सुनहरा अनुभव, उन सब को संजो लेती हूँ, कैद कर लेती हूँ. अपनी छोटी सी दु... Read more
कहानी : साहब बहुत साहसी थे
आज शेविंग करते हुए ना जाने ध्यान बंट गया या फिर वही जल्दबाजी हुई कि गाल में एक बड़ा सा कट लग गया. मुझे शेविंग करना शुरू से ही पसंद नहीं रहा है. खून साफ करते-करते आज फिर सुधीर की याद आ गई... Read more
कहानी : मोक्ष
दूर कहीं जंगल में घसियारियों के गीत समवेत स्वर में गुंजायमान हो रहे हैं. उधर डाल पर दरांतियों से जैसे ही खट-खट होती है वैसे ही पेड़ों से पत्तियां झरझराकर ज़मीन पर गिरती हैं. पत्तियों के झरझर... Read more