स्वाति मेलकानी की कहानी ‘नेपाल में सब ठीक है’
“आपका स्कूल भी बंद है मैडम जी?” खिमदा ने मुझे देखते ही पूछा. जवाब भी उसने खुद ही दे दिया, “इस बार तो बहुत नुकसान हो गया. हमारे मालिक साहब का स्कूल भी कई दिनों से बंद है. बच... Read more
एक तीली आग : जैक लंडन की कालजयी कहानी
वह सुबह ठिठुरन और कोहरे भरी थी. शीत और कोहरा अपने चरम पर था जब उस आदमी ने प्रमुख यूको पगडंडी को छोड़ पहाड़ी पर चढ़ना प्रारंभ किया जहाँ से बाँस के इलाके को जाने वाली कभी कभार उपयोग में लाई जा... Read more
आकाश कितना अनंत है
जो रिश्ता पिछली सर्दियों में तय हुआ, उसे तोड़ दिए जाने का निर्णय लिया जा चुका है. अब उसकी शादी दिल्ली-जैसे बड़े शहर में नौकरी करने वाले लड़के से होगी. जसवंती को ऐसा लग रहा है, सिर्फ इतना जान... Read more
पोस्टमैन : शैलेश मटियानी की कहानी
लिफाफे के बाहर पता यों लिखा हुआ था :सोसती सिरी सरबोपमा – सिरीमान ठाकुर जसोतसिंह नेगी, गाँव प्रधान – कमस्यारी गाँव में, बड़े पटबाँगणवाला मकान, खुमानी के बोट के पास पता ऊपर लिखा, प... Read more
कहानी – पहाड़ की याद
जून के महीने की भरी दोपहरी. इतना भरा पूरा गांव आराम की मुद्रा में था. इसलिए चारों ओर खामोशी सी पसरी थी. इस खामोशी को अगर कभी-कभी तोड़ रहे थे तो वे तीन प्राणी थे— अम्बर, धरा और कालू नाम का भो... Read more
कहानी : बाहर कुछ नहीं था
मेरा एक सीक्रेट है, जिसे मैं किसी से शेयर नहीं कर सकता. मुझे डर है कि जानते ही लोग मुझ पर हँसेंगे. दरअसल खुद मैंने इसे अभी अभी ईजाद किया है. तभी, जब पहलेपहल ऑफिस में यह खबर फैली कि कंपनी का... Read more
हरि मृदुल की कहानी ‘कन्हैया’
वह विरल दृश्य था. सड़क पर एक युवक बांसुरी बजाता जा रहा था. सैकड़ों कान उसका पीछा कर रहे थे और मुग्ध हो रहे थे. पचासों आंखें उसे खोज रही थीं और व्याकुल लग रही थीं. जिस सड़क से वह गुजर रहा था... Read more
चंद्रकुंवर बर्त्वाल की कविता ‘काफल पाक्कू’
हे मेरे प्रदेश के वासीछा जाती वसन्त जाने से जब सर्वत्र उदासीझरते झर-झर कुसुम तभी, धरती बनती विधवा सीगंध-अंध अलि होकर म्लान, गाते प्रिय समाधि पर गानएक अंधेरी रात, बरसते थे जब मेघ गरजतेजाग उठा... Read more
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता
तुम्हारी निश्चल आंखेंचमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश मेंप्रेम पिता का दिखाई नहीं देताईथर की तरह होता हैजरूर दिखायी देती होंगी नसीहतेंनुकीले पत्थरों-सी दुनिया भर के पिताओं की लम्बी कतार... Read more
ज्ञानरंजन की कहानी ‘पिता’
उसने अपने बिस्तरे का अंदाज लेने के लिए मात्र आध पल को बिजली जलाई. बिस्तरे फर्श पर बिछे हुए थे. उसकी स्त्री ने सोते-सोते ही बड़बड़ाया, ‘आ गए’ और बच्चे की तरफ करवट लेकर चुप हो गई.... Read more