लोक कथा : कछुए ने बन्दरों से बदला लिया
बहुत दिनों पहले की बात है, कि एक बार एक कछुआ एक अजनबी शहर में नमक खरीदने गया. (Folklore Kachue ka Bandaron se badla) जब वह नमक खरीद कर वापस लौट रहा था तो उसने देखा कि बहुत सारे बन्दर एक पेड़... Read more
कोतवाल का हुक्का : कवितामय कहानियों का संग्रह
‘कोतवाल का हुक्का’ पुस्तक को कहानी संग्रह कहा गया है, पर यह तो कविता है. पढ़ते हुए भी और सोचते हुए भी. जहाँ-जहाँ कहानी है या कहानी होने की गुंजाइश है वहाँ पर भी कविता है. कभी द्र... Read more
दरजी का लड़का जो अपनी चतुराई से राजा बन गया
एक छोटे से गाँव में एक दरजी रहता था. उसने अपने बेटे को भी दरजी का काम सिखा दिया, ताकि वह गाँव में रहकर अपनी रोजी-रोटी कमा सके. एक दिन सुबह-सुबह दरजी का लड़का अपनी दुकान में काम कर रहा था. तभ... Read more
प्रेमचंद की कहानी ‘जेल’
मृदुला मैजिस्ट्रेट के इजलास से जनाने जेल में वापस आयी, तो उसका मुख प्रसन्न था. बरी हो जोने की गुलाबी आशा उसके कपोलों पर चमक रही थी. उसे देखते ही राजनैतिक कैदियों के एक गिरोह ने घेर लिया ओर प... Read more
त’आरुफ़ : कोतवाल का हुक्का
ज़ाहिर सी बात है ‘कोतवाल का हुक्का’ शीर्षक कहानी-संग्रह में प्रतिनिधि कहानी तो ‘कोतवाल का हुक्का’ ही होगी. इसके अलावा संग्रह में कुछ लंबी कहानियाँ हैं तो बहुत सी लघु... Read more
नुकीली ठुड्डी वाले राजा की कहानी
एक राजा की एक बेहद सुंदर पर घमंडी और बदमिजाज बेटी थी. उसे कोई भी आदमी पसंद न आता. राजा उसकी शादी विवाह करना चाहता पर वह हर लड़के में कोई-न-कोई कमी निकालकर प्रस्ताव ठुकरा देती. राजा उसकी बदमि... Read more
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘घर जमाई’
हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा. घर में से धुआँ उठता नजर आता था. छन-छन की आवाज भी आ रही थी. उसके दोनों साले उसके बाद आये और घर में चले गए. दोनों सालों के लड़के... Read more
मनोहर श्याम जोशी को याद करते हुए ‘कसप’ से एक अंश
यह शहर मुझे तभी स्वीकार करेगा जब मैं सरकारी नौकरी पर लगूं, तरक्की पाता रहूं और अवकाश प्राप्त करके यहाँ अपने पुश्तैनी घर में लौट आऊँ और शाम को अन्य वृद्धों के साथ गाड़ी-सड़क पर टहलते हुए, छड़... Read more
कहानी : भिटौली यानी मां उदास है
भिटौली का महीना शुरू हो चुका था. अगल-बगल की महिलाओं की भिटौली पहुँचने लगी थी. कागज की पुड़िया में मिठाई-बतासे आने लगे थे. मुझे भी अपनी बहनों को भिटौली देने के लिए जाना था. मां ने महीना शुरू... Read more
हैं बिखरे रंग माज़ी के
उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था! विपुल ने भी लगभग चार साल बाद ही फोन किया था. पहली कुछ लाइनों में तकल्लुफ़ था. हाल-चाल था. अभी वाला परिवार था, ज... Read more