हमारे बचपन में अभावों का भी बढ़ा भाव था
नोस्टालजिया का झरोखा तो सुकून देता ही है जनाब! चाहे वह कितना ही अभावों भरा क्यों न हो. लेकिन सच कहें तो हमारे बचपन में अभावों का भी बढ़ा भाव था. विलासिता की चीजों से दूर हम अपनी खुशियां कुदर... Read more
द्रोणागिरि के लोग आज भी क्यों भगवान हनुमान से नाराज हैं : तीस साल पुरानी रिपोर्ट
प्रकाश पुरोहित जयदीप द्वारा लिखा गया ये आलेख बहुत लोकप्रिय है. नब्बे के दशक में लिखे गये इस आलेख के बाद द्रोणागिरि बहुचर्चित हो गया था. दर्जनों वेबसाइट्स, पोर्टल्स और पत्रिकाओं में इस आलेख क... Read more
चैतोल पर्व : लोकदेवता देवलसमेत द्वारा सोरघाटी के बाईस गांवों की यात्रा का वर्णन
मध्यकाल में लगभग शत-प्रतिशत पहाड़ कृषि खेतीबाड़ी पर ही जीवनयापन करता था. जीवन प्रकृति के समीप था, आचार व्यवहार हर प्रसंग में ईश्वर भगवान अदृश्य अलौकिक शक्तियों पर अटल विश्वास आस्था थी. कदाचि... Read more
वरिष्ठ पत्रकार व उत्तराखण्ड के विभिन्न जनान्दोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले पुरुषोत्तम असनोड़ा का 15 अप्रैल की शाम ऋषिकेश एम्स में निधन हो गया. उन्हें गत 12 अप्रैल को ह्रदयाघात के बाद... Read more
कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा लॉकडाउन का फैसला एक तरफ जहां कारगर साबित हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर इसके नकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं. विश्व स्वास्थ्... Read more
एक चिट्ठी कोरोना दौर के हवाले से
देर रात तक ख्वाबों में भटकने वाली आँखें सुबह देर से ही उठने के रिवाज़ का शौक रखती हैं मगर अलविदा के चैत और उकाव लगे बैशाख की सुबहें जाग उठती हैं, पार धार में बासती चिड़ियाओं के मीठे शोर से.... Read more
अल्मोड़ा इंटर कालेज के प्रांगण में विवेकान्द की एक आदमकाय मूर्ति है. लगभग 70 के दशक में बनी इस मूर्ति के निर्माता का नाम है नवीन वर्मा ‘बंजारा’. आज सुबह उनका निधन हो गया. (Naveen... Read more
ले गुड़ खा, साल भर सांप-कीड़े नहीं दिखेंगे कहकर सुबह ही ईजा देशान* में गुड़ दे दिया करती थी और मैं बड़ी उत्सुक्तावस गुड़ खाते हुए उठता था कि आज कहाँ धमाका होने वाला है. धमाका दरअसल हर बैशाखी... Read more
कोरोना या कोविड-19 वायरस के प्राकृतिक रूप से पैदा होने या उसके किसी प्रयोगशालामें विकसित हैने के विवाद के बीच यह याद रहना जरूरी है कि प्रयोगशालाओं में होने वाली संदिंग्ध खोजें ही जैविक हथिया... Read more
ईको-टूरिज़्म का स्वप्नद्रष्टा यायावर-लेखक-चित्रकार था जयदीप यायावरी-घुमक्कड़ी का शौक़ कई लोगों को होता है और लेखन प्रतिभा सम्पन्न भी असंख्य होते हैं किंतु इन दोनों का सामंजस्य विरलों में ही... Read more