सुनने में बेशक बड़े आकर्षक व लुभावने लगते हैं उसूल. लेकिन जब अमल में लाने की बात होती है, तो ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं – ’’ एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है’’. कमोवेश अगर कोई उसू... Read more
सातों-आठों के लिये आज भिगाते हैं बिरुड़े
कुमाऊं में आज से लोकपर्व सातों-आठों की आगाज़ है. कुमाऊं में सबसे उल्लास से बनाये जाने वालों लोक्पर्वों में सातों-आठों एक महत्त्वपूर्ण पर्व माना जाता है. आज इस पर्व की शुरुआत बिरुड़े... Read more
गिर्दा तुमने जिंदगी भर क्या कमाया है
गिर्दा के बारे में उचित ही कहा जाता है कि वो कविता करता नहीं जीता था. और जब कविता सुनाता था तो लगता था जैसे अंग-अंग से कविता फूट रही हो. भरपूर अवसरों के बावजूद गिर्दा ने अपनी सृजनशीलता को व्... Read more
जब गिर्दा ने अपनी गठरी चुराने वाले को अपनी घड़ी देकर कहा – यार मुझे लगता है, मुझसे ज्यादा तू फक्कड़ है
गिर्दा में अजीब सा फक्कड़पन था. वह हमेशा वर्तमान में रहते थे, भूत उनके मन मस्तिक में रहता था और नजरें हमेशा भविष्य पर. बावजूद वह भविष्य के प्रति बेफिक्र थे. वह जैसे विद्रोही बाहर से थे कमोबे... Read more
पहाड़ में नीली क्रांति को समर्पित कुमकुम साह
पंडा फार्म पिथौरागढ़ में कभी कभार ताजी साग सब्जी खरीदने, अंडा मुर्गी लेने जाना होता. जर्सी नसल की गायों का दूध भी मिलता. यह चीजें मिलने का टाइम तय होता. सुबह और शाम. सारा माल बिलकुल ताज़ा और... Read more
गिर्दा: जनता के कवि की दसवीं पुण्यतिथि है आज
गिरदा भौतिक रूप से आज हमारे बीच में नहीं हैं एक शरीर चला गया लेकिन उनका संघर्ष, उनकी बात, उनके गीत, उनकी लोक नाटकों में उठाये गये मुद्दे और जो कुछ वह समाज को दे गये वह सारा कुछ हमेशा जनसंघर्... Read more
बचपन में हम बच्चों की एक तमन्ना बलवान रहती थी कि गांव की बारात में हम भी किसी तरह बाराती बनकर घुस जायें. हमें मालूम रहता था कि बड़े हमको बारात में ले नहीं जायेंगे. पर बच्चे भी उस्तादों के उस... Read more
हरतालिका से सम्बंधित मान्यताएं
हरतालिका तीज के दिन महिलायें खासकर शादीशुदा महिलाएं पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. यह तीज ब्राह्मणों के एक खास वर्ग तिवारी, त्रिपाठी, बमेटा आदि, के लिए बहुत ही महत्व रखती है क्योंकि... Read more
गढ़वाल से ग्लोब तक मेरे कैसे-कैसे कमरे
तुम्हें अपने कमरे से जाने की ज़रूरत नहीं है. अपनी मेज के पास बैठे रहो और सुनो. बल्कि सुनो भी मत, बस इंतज़ार करो, ख़ामोश रहो, स्थिर और अकेले. तुम्हारे सामने ये दुनिया ख़ुदबख़ुद अपना नक़ाब उता... Read more
उत्तराखण्ड की मंदाकिनी-उपत्यका में आज से ठीक सौ साल पहले एक कवि जन्मा था जो सही मायने में हिमालय का सुकुमार कवि था. अल्पायु और छायावाद को अपनी कविता का प्रस्थान-बिंदु बनाने के कारण उनकी तुलन... Read more