जैसे कल की ही बात हो. गोपेश्वर के भूगोल के बिम्बों से प्रेमिका का नख-शिख वर्णन करता एक लम्बी दाढ़ी वाला हँसमुख कवि ध्यान आकर्षित करता है. यहीं हेड पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं, बहुत अच्छे चित्... Read more
उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ों में जाकर मदद करने वाले मेडिकल के छात्रों से मिलिये
पहाड़ में यात्राओं के दौरान जब आप लौटने को होते हैं तो अक्सर बड़े बुजुर्ग और जवान आपसे एक बात कहते नजर आते हैं कि कोई गोली है दर्द की. आप नहीं जानते हैं उन्हें कौन सी बीमारी है फिर भी जिस ला... Read more
‘हरी भरी उम्मीद’ की समीक्षा : प्रभात उप्रेती
सारे भारत में जनजातीय इलाकों में जो कौम बसती थी उनको रोजी-रोटी जिंदगी, जंगलों से चलती है. उनका उन पर परम्परागत हक था. बैंकर बनिये अंग्रेज आये, मुनाफे के लिए जंगल कटाये. जब जंगल कम होने लगे त... Read more
अल्मोड़ा में ग्रीष्म की पीली उदास धुधलाई सन्ध्या की इस वेला में, मैं एकाकी बैठा कसार देवी के शिखर पर और देख रहा हूं सुदुर हिमाच्छादित नन्दादेवी के शिखर को ! थके मादे सूरज को अस्तमुखी कि रणे... Read more
गौरा-महेश्वर की गाथा में गौरा
कुमाऊँ की प्रचलित गौरा-महेश्वर की गाथा में शिव-पार्वती के विवाह में पड़ने वाली बाधाओं से सम्बन्धित आख्यान तथा जनश्रुतियां मिलती हैं. इसमें भारतीय संस्कृति के वैवाहिक आदर्श का चित्रण है. (Gau... Read more
पहाड़ों में सातों-आठों की बहार आ गयी है
भादों की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कुमाऊं और नेपाल में हर्षोल्लास और श्रृद्धा भक्ति से भरा प्रकृति को समर्पित, उसकी पूजा का त्यौहार मनाया जाता है सातूं आठूं. शिव पार्वती तो हिमालय में ही वास क... Read more
सुनने में बेशक बड़े आकर्षक व लुभावने लगते हैं उसूल. लेकिन जब अमल में लाने की बात होती है, तो ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं – ’’ एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है’’. कमोवेश अगर कोई उसू... Read more
सातों-आठों के लिये आज भिगाते हैं बिरुड़े
कुमाऊं में आज से लोकपर्व सातों-आठों की आगाज़ है. कुमाऊं में सबसे उल्लास से बनाये जाने वालों लोक्पर्वों में सातों-आठों एक महत्त्वपूर्ण पर्व माना जाता है. आज इस पर्व की शुरुआत बिरुड़े... Read more
गिर्दा तुमने जिंदगी भर क्या कमाया है
गिर्दा के बारे में उचित ही कहा जाता है कि वो कविता करता नहीं जीता था. और जब कविता सुनाता था तो लगता था जैसे अंग-अंग से कविता फूट रही हो. भरपूर अवसरों के बावजूद गिर्दा ने अपनी सृजनशीलता को व्... Read more
जब गिर्दा ने अपनी गठरी चुराने वाले को अपनी घड़ी देकर कहा – यार मुझे लगता है, मुझसे ज्यादा तू फक्कड़ है
गिर्दा में अजीब सा फक्कड़पन था. वह हमेशा वर्तमान में रहते थे, भूत उनके मन मस्तिक में रहता था और नजरें हमेशा भविष्य पर. बावजूद वह भविष्य के प्रति बेफिक्र थे. वह जैसे विद्रोही बाहर से थे कमोबे... Read more